सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माण्ड से किन-किनकी उत्पत्ति हुई?

सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्माण्ड से किन-किनकी उत्पत्ति हुई?
जब हम व्यास महाभारत पढ़ते हैं तो उसके पहले ही पर्व, आदिपर्व के अनुक्रमाणिका पर्व के श्लोक २१ में हमें ब्रह्माण्ड की उत्पति और फिर उस ब्रह्माण्ड से जिन-जिन लोगों की उत्पत्ति हुई, उसका वर्णन मिलता है। इससे हमें सृष्टि के आरम्भ का एक सार मिल जाता है।

जब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया

जब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया
ये तो हम सभी जानते हैं कि हनुमान जी को अपनी शक्ति को भूल जाने के श्राप था। इसी कारण जब वानर सेना समुद्र के किनारे खड़ी हो उस पर जाने की योजना बना रही थी तो विभिन्न वानरों ने अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार समुद्र पार करने की बात की। उनमें से किसने कितनी दूर जाने की बात की, इसके बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

जटायु का पराक्रम

जटायु का पराक्रम
अरुण के पुत्र और सम्पाती के छोटे भाई जटायु के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं। हम ये भी जानते हैं कि किस प्रकार जटायु ने रावण से माता सीता की रक्षा करने का प्रयत्न किया था। अधिकतर लोग बस यही जानते हैं कि माता सीता की रक्षा की प्रक्रिया में रावण द्वारा जटायु का वध हो गया था किन्तु बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि उस युद्ध में जटायु ने अद्वितीय पराक्रम दिखाया और रावण जैसे महापराक्रमी को भी पृथ्वी पर उतरने के लिए विवश कर दिया था।

रामायण के अनुसार श्रीराम का वंश

रामायण के अनुसार श्रीराम का वंश
कुछ समय पहले हमने श्रीराम के वंश के बारे में एक वीडियो प्रकाशित किया था। किन्तु यदि आप वाल्मीकि रामायण पढ़ेंगे तो आपको उनके वंश का एक अलग वर्णन मिलता है। ये थोड़ा अजीब इसीलिए है क्यूंकि कुछ चंद्रवंशी राजाओं का वर्णन भी इसमें किया गया है जबकि श्रीराम सूर्यवंशी थे। साथ ही महाभारत में उन चंद्रवंशी राजाओं का क्रम ब्रह्माजी से नजदीक है जबकि रामायण में ये बहुत बाद का बताया गया है।

क्या रामायण में श्रवण कुमार का कोई वर्णन है?

क्या रामायण में श्रवण कुमार का कोई वर्णन है?
श्रवण कुमार की कथा से भला कौन परिचित नहीं है। आधुनिक काल में वो एक कर्तव्यनिष्ठ पुत्र के एक ऐसे उदाहरण हैं जिनके जैसा बनना हर संतान का एक स्वप्न होता है। हम ये भी जानते हैं कि श्रवण कुमार की कथा श्रीराम के पिता महाराज दशरथ से जुडी हुई है। किन्तु क्या वाल्मीकि रामायण में श्रवण कुमार नाम के किसी चरित्र का वर्णन दिया गया है? तो इसका उत्तर है नहीं। रामायण में किसी श्रवण कुमार का वर्णन हमें नहीं मिलता।

समुद्र लंघन के समय किस वानर ने कितनी दूर जाने की बात कही थी?

समुद्र लंघन के समय किस वानर ने कितनी दूर जाने की बात कही थी?
माता सीता की खोज में वानरों का समुद्र तट पर पहुंचना और उसके बाद हनुमान जी द्वारा समुद्र लांघने की बात तो हम सभी जानते ही है। पर एक बात जो अधिक लोग नहीं जानते वो ये कि समुद्र लांघने की चर्चा करते हुए कई वानरों ने अपनी शक्ति के अनुसार, कितनी दूर वे जा सकते हैं, इसका उल्लेख किया था। उस चर्चा में तो हनुमान जी ने कुछ कहा ही नहीं था क्यूंकि श्राप के कारण उन्हें अपने बल का ज्ञान नहीं था। बाद में जामवंत जी ने उन्हें प्रेरित किया।

कबंध

कबंध
कबंध रामायण कालीन एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था। हालाँकि आम मान्यता है कि रामायण काल के सारे राक्षस रावण के अधीन थे किन्तु वाल्मीकि रामायण में कबंध के बारे में ऐसा कुछ नहीं लिखा गया है। तो आप उसे अपने विवेक के अनुसार रावण के अधीन अथवा एक स्वाधीन राक्षस मान सकते हैं। कबंध की कथा हमें वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड के ६९वें सर्ग में मिलता है, जो सर्ग ७३ में जाकर समाप्त होती है।