बात उन दिनों कि है जब श्रीराम का अश्वमेघ यज्ञ चल रहा था। श्रीराम के अनुज शत्रुघ्न के नेतृत्व में असंख्य वीरों की सेना उन सारे प्रदेशों को विजित करती जा रही थी जहाँ भी यज्ञ का अश्व जा रहा था। इस क्रम में कई राजाओं के द्वारा यज्ञ का घोड़ा पकड़ा गया लेकिन अयोध्या की सेना के आगे उन्हें झुकना पड़ा। शत्रुघ्न के आलावा सेना में हनुमान, सुग्रीव और भारत पुत्र पुष्कल सहित कई महारथी उपस्थित थे जिन्हें जीतना देवताओं के लिए भी संभव नहीं था। उसपर श्रीराम का प्रताप ऐसा था कि कोई भी राजा उनके ध्वज तले राज्य करना अपना सौभाग्य मानता था। इसी कारण उस सेना को अधिक प्रयास भी नहीं करना पड़ रहा था।