वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बालि निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
भावार्थ ये है कि श्रीराम वन गए और वहाँ उन्होंने स्वर्ण मृग का वध किया। तत्पश्चात रावण ने माता सीता का हरण कर लिया और जटायु ने उनकी रक्षा में प्राण त्याग दिए। उन्हें खोजते हुए श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई और श्रीराम के हाथों बाली का वध हुआ। समुद्र में सेतु बना कर सेना उस पर गयी और हनुमान द्वारा लंका जला दी गयी। इसके पश्चात श्रीराम के द्वारा कुम्भकर्ण और रावण का वध हुआ।
nice post
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंBahut sunder....
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंये है सारभूत तथ्य !
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंATI SUNDAR
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंजय श्री राम
जवाब देंहटाएंजय श्रीराम
हटाएंJay shree ram
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