अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का माप हुआ करता था जिसका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है। किसी भी अक्षौहिणी सेना के चार विभाग होते थे:
इसके प्रत्येक भाग की संख्या के अंकों का कुल जमा १८ आता है। एक घोडे पर एक सवार बैठा होगा, हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक पीलवान और दूसरा लडने वाला योद्धा। इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और चार घोडे रहे होंगें।
एक अक्षौहिणी सेना ९ भागों में बटी होती थी:
- पत्ती: १ गज + १ रथ + ३ घोड़े + ५ पैदल सिपाही
- सेनामुख (3 x पत्ती): ३ गज + ३ रथ + ९ घोड़े + १५ पैदल सिपाही
- गुल्म (3 x सेनामुख): ९ गज + ९ रथ + २७ घोड़े + ४५ पैदल सिपाही
- गण (3 x गुल्म): २७ गज + २७ रथ + ८१ घोड़े + १३५ पैदल सिपाही
- वाहिनी (3 x गण): ८१ गज + ८१ रथ + २४३ घोड़े + ४०५ पैदल सिपाही
- पृतना (3 x वाहिनी): २४३ गज + २४३ रथ + ७२९ घोड़े + १२१५ पैदल सिपाही
- चमू (3 x पृतना): ७२९ गज + ७२९ रथ + २१८७ घोड़े + ३६४५ पैदल सिपाही
- अनीकिनी (3 x चमू): २१८७ गज + २१८७ रथ + ६५६१ घोड़े + १०९३५ पैदल सिपाही
- अक्षौहिणी (10 x अनीकिनी): २१८७० गज + २१८७० रथ + ६५६१० घोड़े + १०९३५० पैदल सिपाही
इस प्रकार एक अक्षौहिणी सेना में गज, रथ, घुड़सवार तथा सिपाही की सेना निम्नलिखित होती थी:
- गज: २१८७०
- रथ: २१८७०
- घुड़सवार: ६५६१०
- पैदल सिपाही: १०९३५०
इसमें चारों अंगों के २१८७०० सैनिक बराबर-बराबर बंटे हुए होते थे। प्रत्येक इकाई का एक प्रमुख होता था।
- पत्ती, सेनामुख, गुल्म और गण के नायक सामान्यतः एक अर्धरथी हुआ करता था।
- वाहिनी, पृतना और चमु के नायक सामान्यतः एक रथी हुआ करता था।
- अनीकिनी का संचालन सामान्यतः एक अतिरथी करता था।
- एक अक्षौहिणी सेना की कमान सामान्यतः एक महारथी के हाथ में होती थी।
- एक से अधिक अक्षौहिणी सेना का नायक कोई बहुत ही उत्कृष्ट योद्धा होता था, जो महारथी के भी ऊपर का योद्धा होता था। जैसे भीष्म, अर्जुन और कर्ण।
योद्धाओं के स्तर के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ जाएँ।
पांडवों के पास (७ अक्षौहिणी सेना):
- १५३०९० रथ
- १५३०९० गज
- ४५९२७० अश्व
- ७६५२७० पैदल सैनिक
कौरवों के पास (११ अक्षौहिणी सेना):
- २४०५७० रथ
- २४०५७० गज
- ७२१७१० घोड़े
- १२०२८५० पैदल सैनिक
इस प्रकार महाभारत की सेना के मनुष्यों की संख्या कम से कम ४६८१९२०, घोडों की संख्या (रथ में जुते हुओं को लगा कर) कम से कम २७१५६२० और इसी अनुपात में गजों की संख्या थी। इससे आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि महाभारत का युद्ध कितना विनाशकारी था।
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