हिन्दू धर्म में चतुर्युगी व्यवस्था है जिनमे चार युग होते हैं - सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। हिन्दू धर्म की काल गणना हमारे ग्रंथों की सबसे रोचक जानकारियों में से एक है। इसके विषय में जितना भी जाना जाये वो कम है। इसके अतिरिक्त आश्चर्यजनक रूप से हमारी सहस्त्रों वर्षों पुरानी गणना वैज्ञानिक रूप से बिलकुल सटीक बैठती है। आइये इस महत्वपूर्ण विषय को जानते हैं।
- ६ श्वास से एक विनाड़ी बनती है।
- १० विनाडियों से एक नाड़ी बनती है।
- ६० नाड़ियों से एक दिवस (दिन और रात्रि) बनते हैं।
- ३० दिवसों से एक मास (महीना) बनता है।
- ६ मास का एक अयन होता है।
- २ अयन का एक मानव वर्ष (मनुष्यों का वर्ष) होता है।
- हिन्दू धर्म के अनुसार १ मानव वर्ष में ३६० दिवस होते हैं। यहाँ ३६५ वाली गणना नहीं चलती।
- १५ मानव वर्ष के बराबर पित्तरों का १ वर्ष होता है जिसे पितृवर्ष कहते है।
- ३६० मानव वर्षों का एक दिव्य वर्ष होता है। दिव्य वर्ष देवताओं के एक वर्ष को कहते हैं। दैत्यों का एक वर्ष भी इतना ही होता है। बस अंतर ये है कि देवताओं का दिन दैत्यों की रात्रि और देवताओं की रात्रि दैत्यों का दिन होती है। अर्थात देवों और दैत्यों की आयु समान ही होती है बस उसका क्रम उल्टा होता है।
- देवों और दैत्यों की औसत आयु १०० दिव्य वर्ष मानी गयी है, अर्थात मनुष्यों के हिसाब से ३६००० वर्ष।
- १२०० दिव्य वर्षों का एक चरण होता है, अर्थात ४३२००० मानव वर्ष।
- सतयुग ४८०० दिव्य वर्षों का होता है, अर्थात १७२८००० मानव वर्ष। सतयुग में ४ चरण और भगवान विष्णु के ४ अवतार होते हैं - मत्स्य, कूर्म, वराह एवं नृसिंह।
- त्रेतायुग ३६०० दिव्य वर्षों का होता है, अर्थात १२९६००० मानव वर्ष। त्रेतायुग में ३ चरण और भगवान विष्णु के ३ अवतार होते हैं - वामन, परशुराम एवं श्रीराम।
- द्वापर युग २४०० दिव्य वर्षों का होता है, अर्थात ८६४००० मानव वर्ष। द्वापर युग में २ चरण और भगवान विष्णु के २ अवतार होते हैं - बलराम एवं श्रीकृष्ण।
- कलियुग १२०० दिव्य वर्षों का होता है, अर्थात ४३२००० मानव वर्ष। कलियुग केवल १ चरण का होता है और भगवान विष्णु केवल १ अवतार इस युग में लेंगे - कल्कि।
- चारों युगों को मिला कर एक महायुग (चतुर्युग) बनता है जो कुल १२००० दिव्य वर्षों, अर्थात ४३२०००० मानव वर्षों का होता है। एक चतुर्युग में कुल १० चरण और १० ही श्रीहरि के अवतार होते हैं। अर्थात जिस युग में जितने चरण होते हैं, श्रीहरि उतने ही अवतार लेते हैं।
- ७१ महायुगों का एक मन्वन्तर होता है जिसमे १ मनु शासन करते हैं। अर्थात ३०६७२०००० (तीस करोड़ सड़सठ लाख बीस हजार) मानव वर्ष।
- १००० महायुगों या १४ मन्वन्तरों का एक कल्प होता है जो परमपिता ब्रह्मा का आधा दिन माना जाता है। १ कल्प (ब्रह्मा के आधे दिन) में १४ मनु शासन करते हैं और प्रत्येक मन्वन्तर में सप्तर्षि भी अलग-अलग होते हैं। ये १४ मनु हैं:
- स्वयंभू
- स्वरोचिष
- उत्तम
- तामस
- रैवत
- चाक्षुष
- वैवस्वत - ये अभी वर्तमान के मनु हैं, अर्थात हम अपना जीवन वैवस्वत मनु के शासनकाल में जी रहे हैं। कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि एवं भारद्वाज इस मन्वन्तर के सप्तर्षि हैं।
- सावर्णि
- दक्ष सावर्णि
- ब्रम्हा सावर्णि
- धर्म सावर्णि
- रूद्र सावर्णि
- देव सावर्णि
- इन्द्र सावर्णि
- एक कल्प में ४३२००००००० (चार अरब बत्तीस करोड़) मानव वर्ष होते हैं। एक कल्प में चतुर्युग १००० बार अपने आप को दोहराता है। अर्थात एक कल्प में श्रीराम, श्रीकृष्ण इत्यादि १००० बार जन्म लेते हैं। ये घटनाएं बिलकुल एक समान नहीं होती किन्तु परिणाम सदा समान ही होता है। अर्थात एक कल्प में होने वाला श्रीराम और रावण का प्रत्येक युद्ध बिलकुल एक सा नहीं होगा किन्तु विजय सदैव श्रीराम की ही होगी। एक कल्प के बाद महाप्रलय होता है और भगवान शिव सृष्टि का नाश कर देते हैं। उसके पश्चात ब्रह्मा पुनः सृष्टि की रचना करते हैं।
- वैज्ञानिक तथ्य: हिन्दू धर्म के अनुसार एक कल्प में लगभग ४.३ अरब मानव वर्ष होते हैं जिसके बाद सृष्टि का अंत होता है। क्या आपको पता है कि नासा और वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी एवं सूर्य की आयु कितनी है? वो भी बिलकुल ४.३ अरब मानव वर्ष ही है। है ना आश्चर्यजनक?
- दो कल्पों, अर्थात २००० महायुगों का ब्रह्मा का पूरा दिन होता है (दिन एवं रात्रि)। अर्थात ८६४००००००० (आठ अरब चौसठ करोड़) मानव वर्ष।
- ३० ब्रह्मा के दिन १ ब्रह्म मास के बराबर होते हैं, अर्थात २५९२०००००००० (२ खरब उनसठ अरब बीस करोड़) मानव वर्ष।
- १२ ब्रह्मा के मास १ ब्रह्मवर्ष कहलाता है, अर्थात ३११०४०००००००० (इकतीस खरब दस अरब चालीस करोड़ मानव वर्ष)।
- ५० ब्रह्मवर्ष को १ परार्ध कहते हैं, अर्थात १५५५२०००००००००० (पंद्रह नील पचपन खरब बीस अरब) मानव वर्ष।
- २ परार्ध ब्रह्मा के १०० वर्ष होते हैं जिसे १ महाकल्प कहते हैं। ये ब्रह्मदेव का पूर्ण जीवनकाल होता है। इसके बाद ब्रह्मा भी मृत्यु को प्राप्त होते हैं। ये समय काल ३११०४०००००००००० (इकतीस नील दस खरब चालीस अरब) मानव वर्षों के बराबर है।
- हम वर्तमान में वर्तमान ब्रह्मा के ५१ वें वर्ष में, सातवें (वैवस्वत) मनु के शासन में, श्वेतवाराह कल्प के द्वितीय परार्ध में, अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम वर्ष के प्रथम दिवस में विक्रम संवत २०७६ में हैं। इस प्रकार अब तक १५५५२१९७१९६१६३२ (पंद्रह नील पचपन खरब इक्कीस अरब सत्तानवे करोड़ उन्नीस लाख इकसठ हजार छः सौ बत्तीस) वर्ष वर्तमान ब्रह्मा को सॄजित हुए हो गये हैं।
- ब्रह्मा के १००० दिनों का भगवान विष्णु की एक घटी होती है।
- भगवान विष्णु की १२००००० (बारह लाख) घाटियों की भगवान शिव की अर्धकला होती है।
- महादेव की १००००००००० (एक अरब) अर्ध्कला व्यतीत होने पर १ ब्रह्माक्ष होता है।
- इसके अतिरिक्त पाल्या नामक समय की एक इकाई का वर्णन आता है जो जैन धर्म में मुख्यतः उपयोग में लायी जाती है। एक पल्या भेड़ की ऊन का एक योजन ऊंचा घन बनाने में लगे समय के बराबर होती है, यदि भेंड़ की ऊन का एक रेशा १०० वर्षों में चढ़ाया गया हो। दूसरी परिभाषा के अनुसार पल्या एक छोटी चिड़िया द्वारा किसी एक वर्ग मील के सूक्ष्म रेशों से भरे कुंए को रिक्त करने में लगे समय के बराबर है, यदि वह प्रत्येक रेशे १०० वर्ष में उठाती है। यह इकाई भगवान आदिनाथ (भगवान शंकर के अवतार) के अवतरण के समय की है, जो जैन मान्यताओं के अनुसार १०००००००००००००० (दस नील) पल्या पहले था।
Nilabh ji Gajab ka anklan kiya hai aapne.. padh kar dimag ghum gaya abhi to brahma ji jawan hue hai........
जवाब देंहटाएंsundar gyan vardhak lekh
सुनकर अच्छा लगा कि आपको पसंद आया। धन्यवाद।
हटाएंjai shri ganesh
जवाब देंहटाएंaapne ye bahoot hi acchi jankari hamare samne rakh di hai
aapka bahoot shukriya
ram kadam
बहुत धन्यवाद।
हटाएंPuran ke anusar raja parichit ka janam hote hi kaluga ka niwas ho gaya tha kripa ye batye budha bagwan ka janam daupar me hua ya kaluga me clear kare.
जवाब देंहटाएंBudhh ka janm kaliyug me hi hua tha.
हटाएं४०००३२००००००० (चार लाख बतीस "करोड़") मानव वर्ष के बराबर है जिसमे १४ मवंतर होते है. चार युगों का एक महायुग होता है:
जवाब देंहटाएंबत्तीस करोड़ चार लाख होगा.. उल्टा कैसे हो सकता है
क्षमा कीजिये। वो ४ अरब बत्तीस करोड़ वर्ष होगा। ठीक कर दिया गया है। धन्यवाद।
हटाएंबुध भगवान को कहा द्वापर में ले जा रहे हे
जवाब देंहटाएंक्षमा करें। बुद्ध का जन्म कलियुग में हुआ था। ठीक कर दिया गया है।
हटाएंलव कुश की 50 वी पीढ़ी शल्य , कौरवो की तरफ से युद्ध करती है ! भगवान् राम का जन्म 9339 (लगभग 10000 वर्ष) वर्षो पहले हुआ ! यदि राम की मृत्यु के समय त्रेता युग का अंत हो गया ! अगर कुश की 50 पीढ़ी के हर एक राजा ने 1000 वर्ष तक राज्य किया तो 50x1000=50000 वर्ष होते है और शल्य 50वी पीढ़ी थी जब महाभारत का युद्ध हुआ ! युद्ध के 36 वर्ष बाद कृष्ण की मृत्यु हो गई और कलयुग का आगमन हो गया तो फिर द्वापर युग की आयु ८६४००० वर्ष कैसे हुई !
जवाब देंहटाएंकृपया मार्गदर्शन करे ! Email : chambalshubham@gmail.com
भगवान राम की मृत्यु के बाद त्रेतायुग समाप्त नहीं हुआ था। त्रेता युग का परिमाण द्वापर से बहुत अधिक है। ११००० वर्षों का तो केवल श्रीराम का कार्यकाल माना गया है।
हटाएंमित्र धर्मसंसार!इस आलेखमे आपन अपने कथन मे प्रमाण कहाँ से लिए ,उसका उल्लख नही।आपके स्वयं के ज्ञान की स्थिति यानि त्रिकालदशी अभी आपलगते नही। विज्ञान या प्रत्यक्ष प्रमाण इसमे नही। अत: पौराणिक पिष्ट पेषण के अतिरिक्त यह कुछ नही।मित्र !
जवाब देंहटाएंमित्र आप कदाचित कुछ अधिक आधुनिक पीढ़ी के मालूम पड़ते हैं तभी 'पौराणिक कथाओं' (Mythology) का प्रमाण माँग रहे हैं। ये कोई ५०० वर्ष पूर्व हुई घटना नहीं है जिसका लिखित में आपको प्रमाण दिया जाये। हमारे धर्मग्रंथों में ये लिखा है और हमारी अपने धर्मगंथों में आस्था है, जैसे हर धर्म के व्यक्ति को अपने धर्मग्रंथों में होती है। ये विश्वास की बात है, प्रमाण की नहीं।
हटाएंप्रमाण की आवश्यकता तो है।
हटाएंहमारे धर्म ग्रंथ ही हमारे प्रमाण हैं।
आप उन धर्म ग्रंथों का संदर्भ लेकर नीचे लिख दीजिए
ब्रह्मपुराण, गरुड़ पुराण और महाभारत में इसका वर्णन है।
हटाएंकेवल सत्य ही समझने के लायक़ है उसी का मनन और चिन्तन करें | क्यों कि वही सदा से है और सदा ही रहने वाला है | बाकि सब कुछ बनता है और मिटता रहता है | चाहे वो ब्रह्म हो या ब्रह्मा हो , शिव हो या पीव हो इन सबका जन्म और मृत्यु निश्चित है चाहे वह कितने भी नील खरब ,अरबों वर्षों के बाद ही क्यों न मृत्यु को प्राप्त हो | मरना तो उन्हें भी पड़ता ही है | परन्तु सत्य परमात्मा ज्यों का त्यों वैसे का वैसा ही बना रहता है | और ब्रह्म या कोई भी हो उनके कार्य में कभी भी दखलंदाजी भी नहीं देता है क्योकि वह अमर शान्त है और वह निह्तत्व है जबकि ये ब्रह्म या ब्रह्मा तत्त्व उत्पन्न भी करते हैं और फिर तत्त्व को समाप्त भी करते है इनका काम ही यही है , जबकि सत्य परमात्मा ही इन सबका सर्वाधार है लेकिन वह फिर भी इनमें लिप्त कभी नहीं होता है |
जवाब देंहटाएंइसलिये यदि किसी को पूर्ण मोक्ष चाहिये तो उसे केवल और केवल सत्य सर्वाधार परमात्मा का ही चिंतन करना चाहिये | तभी पूर्ण मोक्ष कि प्राप्ति हो पायेगी | ऐसा इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि जब ये खरबों खरबों वर्षों के बाद दुबारा से उत्पन्न होते हैं तो फ़िर से ये सृष्टियाँ बनाते हैं और फिर से ये हमारी तुम्हारी चेतनाएँ बनाते हैं तो फिर से हमारी तुम्हारी ये स्थूलता की यात्रा आरम्भ हो जाती है यानीकि हमको तो सिर्फ़ कुछ खरबों वर्षों का ही विश्राम मिला न पूर्ण मोक्ष तो नहीं मिल सका
आभार
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