महर्षि कश्यप परमपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र मरीचि के पुत्र थे, इस प्रकार वे ब्रह्मा के पोते हुए। महर्षि कश्यप ने ब्रह्मापुत्र प्रजापति दक्ष की १७ कन्याओं से विवाह किया। संसार की सारी जातियां महर्षि कश्यप की इन्ही १७ पत्नियों की संतानें मानी जाति हैं। इसी कारण महर्षि कश्यप की पत्नियों को लोकमाता भी कहा जाता है। प्रजापति दक्ष की सभी पुत्रियों और उनके पति के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ जाएँ। उनकी पत्नियों और उनसे उत्पन्न संतानों का वर्णन नीचे है:
महाभारत में १८ संख्या का महत्त्व
महाभारत कथा में १८ (अठारह) संख्या का बड़ा महत्त्व है। महाभारत की कई घटनाएँ १८ संख्या से सम्बंधित है। कुछ उदाहरण देखें:
- महाभारत का युद्ध कुल १८ दिनों तक हुआ था।
- कौरवों (११ अक्षौहिणी) और पांडवों (७ अक्षौहिणी) की सेना भी कुल १८ अक्षौहिणी थी।
महापुराण
महाभारत के बाद महर्षि व्यास की सबसे प्रमुख कृति पुराण ही मानी जाती है। महर्षि व्यास ने कुल १८ पुराण लिखे जिन्हे महापुराण भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य ऋषियों द्वारा लिखी गयी कृतियों को उप पुराण भी कहा जाता है। इन पुराणों में समाहित ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। जो भी ज्ञान पृथ्वी पर है वो सभी इन पुराणों में वर्णित है। मूलतः पुराणों को दो भागों में विभक्त किया जाता है:
- महापुराण: महर्षि व्यास द्वारा लिखित
- उप पुराण: अन्य ऋषियों द्वारा लिखित
सदस्यता लें
संदेश (Atom)