- युधिष्ठिर: ३६ वर्ष
- परीक्षित: ६० वर्ष
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जब दो ब्रह्मास्त्रों का सामना हुआ - अर्जुन और अश्वत्थामा का युद्ध
महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। कौरवों की ओर से केवल तीन महारथी हीं जीवित बचे थे - अश्वत्थमा, कृपाचार्य और कृतवर्मा। दुर्योधन की मृत्यु से दुखी अश्वत्थामा ने पांडवों को छल से मारने की प्रतिज्ञा की। उसने दुर्योधन को मरते हुए वचन दिया था कि जैसे भी हो वो पांचों पांडवों को अवश्य मार डालेगा। कृपाचार्य ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की पर अंततः उन्होंने भी उसका साथ देने की स्वीकृति भर दी।
जब भगवान शिव ने माता सती का त्याग किया
सभी लोग जानते हैं कि सती ने अपने पिता द्वारा शिव को यज्ञ में आमंत्रित न करने और उनका अपमान करने पर उसी यज्ञशाला में आत्मदाह कर लिया था लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इसकी भूमिका बहुत पहले हीं लिखी जा चुकी थी। ये कथा रामचरितमानस के बालकाण्ड में दी गयी है।