- युधिष्ठिर: ३६ वर्ष
- परीक्षित: ६० वर्ष
- जनमेजय: ८४ वर्ष
- अश्वमेध: ८२ वर्ष
- द्वैतीयरम: ८८ वर्ष
- क्षत्रमाल: ८१ वर्ष
- चित्ररथ: ७५ वर्ष
- दुष्टशैल्य: ७५ वर्ष
- उग्रसेन: ७८ वर्ष
- शूरसेन: ७८ वर्ष
- भुवनपति: ६९ वर्ष
- रणजीत: ६५ वर्ष
- श्रक्षक: ६४ वर्ष
- सुखदेव: ६२ वर्ष
- नरहरिदेव: ५१ वर्ष
- शुचिरथ: ४२ वर्ष
- शूरसेन द्वितीय: ५८ वर्ष
- पर्वतसेन: ५५ वर्ष
- मेधावी: ५२ वर्ष
- सोनचीर: ५० वर्ष
- भीमदेव: ४७ वर्ष
- नरहिरदेव द्वितीय: ४७ वर्ष
- पूरनमाल: ४४ वर्ष
- कर्दवी: ४४ वर्ष
- अलामामिक: ५० वर्ष
- उदयपाल: ३८ वर्ष
- दुवानमल: ४० वर्ष
- दामात: ३२ वर्ष
- भीमपाल: ५८ वर्ष
- क्षेमक: ४८ वर्ष
क्षेमक के प्रधानमन्त्री विश्व ने क्षेमक का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी १४ पीढ़ियों ने ५०० वर्ष ३ माह १७ दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।
- विश्व: १७ वर्ष
- पुरसेनी: ४२ वर्ष
- वीरसेनी: ५२ वर्ष
- अंगशायी: ४७ वर्ष
- हरिजित: ३५ वर्ष
- परमसेनी: ४४ वर्ष
- सुखपाताल: ३० वर्ष
- काद्रुत: ४२ वर्ष
- सज्ज: ३२ वर्ष
- आम्रचूड़: २७ वर्ष
- अमिपाल: २२ वर्ष
- दशरथ: २५ वर्ष
- वीरसाल: ३१ वर्ष
- वीरसालसेन: ४७ वर्ष
वीरसालसेन के प्रधानमन्त्री वीरमाह ने वीरसालसेन का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी १६ पीढ़ियों ने ४४५ वर्ष ५ माह ३ दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।
- वीरमाह: ३५ वर्ष
- अजितसिंह: २७ वर्ष
- सर्वदत्त: २८ वर्ष
- भुवनपति: १५ वर्ष
- वीरसेन: २१ वर्ष
- महिपाल: ४० वर्ष
- शत्रुशाल: २६ वर्ष
- संघराज: १७ वर्ष
- तेजपाल: २८ वर्ष
- मानिकचंद: ३७ वर्ष
- कामसेनी: ४२ वर्ष
- शत्रुमर्दन: ८ वर्ष
- जीवनलोक: २८ वर्ष
- हरिराव: २६ वर्ष
- वीरसेन द्वितीय: ३५ वर्ष
- आदित्यकेतु: २३ वर्ष
प्रयाग के राजा धनधर ने आदित्यकेतु का वध करके उसके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी ९ पीढ़ी ने ३७४ वर्ष ११ माह २६ दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।
- धनधर: २३ वर्ष
- महर्षि: ४१ वर्ष
- संरछि: ५० वर्ष
- महायुध: ३० वर्ष
- दुर्नाथ: २८ वर्ष
- जीवनराज: ४५
- रुद्रसेन: ४७ वर्ष
- आरिलक: ५२ वर्ष
- राजपाल: ३६ वर्ष
सामन्त महानपाल ने राजपाल का वध करके १४ वर्ष तक राज्य किया। अवन्तिका (वर्तमान उज्जैन) के विक्रमादित्य ने महानपाल का वध करके ९३ वर्ष तक राज्य किया। विक्रमादित्य का वध समुद्रपाल ने किया और उसकी १६ पीढ़ियों ने ३७२ वर्ष ४ माह २७ दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- समुद्रपाल: ५४ वर्ष
- चन्द्रपाल: ३६ वर्ष
- सहपाल: ११ वर्ष
- देवपाल: २७ वर्ष
- नरसिंहपाल: १८ वर्ष
- सामपाल: २७ वर्ष
- रघुपाल: २२ वर्ष
- गोविन्दपाल: २७ वर्ष
- अमृतपाल: ३६ वर्ष
- बालिपाल: १२ वर्ष
- महिपाल: १३ वर्ष
- हरिपाल: १४ वर्ष
- सीसपाल: ११ वर्ष
- मदनपाल: १७ वर्ष
- कर्मपाल: १६ वर्ष
- विक्रमपाल: २४ वर्ष
विक्रमपाल ने पश्चिम में स्थित राजा मालकचन्द बोहरा के राज्य पर आक्रमण कर दिया जिसमे मालकचन्द बोहरा की विजय हुई और विक्रमपाल मारा गया। मालकचन्द बोहरा की १० पीढ़ियों ने १९१ वर्ष १ माह १६ दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- मालकचन्द: ५४ वर्ष
- विक्रमचन्द: १२ वर्ष
- मानकचन्द: १० वर्ष
- रामचन्द: १३ वर्ष
- हरिचंद: १४ वर्ष
- कल्याणचन्द: १० वर्ष
- भीमचन्द: १६ वर्ष
- लोवचन्द: २६ वर्ष
- गोविन्दचन्द: ३१ वर्ष
- रानी पद्मावती: १ वर्ष
रानी पद्मावती गोविन्दचन्द की पत्नी थीं। कोई सन्तान न होने के कारण पद्मावती ने हरिप्रेम वैरागी को सिंहासनारूढ़ किया जिसकी ४ पीढ़ियों ने ५० वर्ष और १२ दिनों तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- हरिप्रेम: ७ वर्ष
- गोविन्दप्रेम: २० वर्ष
- गोपालप्रेम: १५ वर्ष
- महाबाहु: ६ वर्ष
महाबाहु ने सन्यास ले लिया। इस पर बंगाल के अधिसेन ने उसके राज्य पर आक्रमण कर अधिकार जमा लिया। अधिसेन की १२ पीढ़ियों ने १५२ वर्ष ११ माह २ दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- अधिसेन: १८ वर्ष
- विल्वसेन: १२ वर्ष
- केशवसेन: १५ वर्ष
- माधवसेन: १२ वर्ष
- मयूरसेन: २० वर्ष
- भीमसेन: ५ वर्ष
- कल्याणसेन: ४ वर्ष
- हरिसेन: १२ वर्ष
- क्षेमसेन: ८ वर्ष
- नारायणसेन: २ वर्ष
- लक्ष्मीसेन: २६ वर्ष
- दामोदरसेन: ११ वर्ष
दामोदरसेन ने उमराव दीपसिंह को प्रताड़ित किया तो दीपसिंह ने सेना की सहायता से दामोदरसेन का वध करके राज्य पर अधिकार कर लिया तथा उसकी ६ पीढ़ियों ने १०७ वर्ष ६ माह २२ दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- दीपसिंह: १७ वर्ष
- राजसिंह: १४ वर्ष
- रणसिंह: ९ वर्ष
- नरसिंह: ४५ वर्ष
- हरिसिंह: १३ वर्ष
- जीवनसिंह: ८ वर्ष
पृथ्वीराज चौहान ने जीवनसिंह पर आक्रमण करके तथा उसका वध करके राज्य पर अधिकार प्राप्त कर लिया। पृथ्वीराज चौहान की ५ पीढ़ियों ने ८६ वर्ष २० दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
- पृथ्वीराज: १२ वर्ष
- अभयपाल: १४ वर्ष
- दुर्जनपाल: ११ वर्ष
- उदयपाल: ११ वर्ष
- यशपाल: ३६ वर्ष
विक्रम संवत १२४९ (११९३) में मोहम्मद गोरी ने यशपाल पर आक्रमण कर उसे प्रयाग के कारागार में डाल दिया और उसके राज्य को अधिकार में ले लिया।
इस जानकारी का स्त्रोत बता सकते हैं नीलाभ जी? बड़ा श्रमसाध्य काम है ये!
जवाब देंहटाएंhindinet.org ?
uff, ye word verfication :(
vishnu puran
हटाएंसंजय जी,
हटाएंमाफ कीजियेगा, श्रोत www.hindunet.org है. मैंने पोस्ट में भी ठीक कर दिया है. अगर आप नीचे लिखे लिंक पर जाएँगे तो आपको भगवन ब्रम्हा से लेकर युधिस्ठिर तक के वंश का वर्णन मिल जाएगा. इस पोस्ट को जोड़ दें तो ब्रम्हा से लेकर मोहम्मद गोरी तक. आपलोगों की सराहना से हीं हमें लिखने का बल मिलता है. अपनी राय हमें भेजते रहें. और हाँ वर्ड वेरिफिकेशन इस लिए है क्योंकि आजकल स्पैम बहुत ज्यादा आने लगा है.
संजय@मो सम कौन जी! ये सयार्थप्रकाश के दाग हैं।ढूंढते रह जाओगे। इस इतिहास क स्रोत न पा ओगे।
हटाएंआपको जितना भी धन्यवाद कहूँगी, कम ही होगा...
जवाब देंहटाएंआभार..
अदा जी,
हटाएंआपकी सराहना के लिए धन्यवाद. आगे भी आपके राय की आवश्यकता रहेगी.
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने साधुवाद परन्तु कहा जाता है पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गौरी ने बंदी बनाया था और बाद में वो पृथ्वीराज के द्वारा मारा गया था वो कहाँ तक सच है.धोखे से मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज को कैद कर लिया तथा अपने मुल्क ले गया। वहाँ पृथ्वीराज के साथ अत्यन्त ही बुरा सलूक किया गया। उसकी आँखें गरम सलाखों से जला दी गईं। अंत में पृथ्वीराज के अभिन्न सखा चंद बरदाई ने योजना बनाई। पृथ्वीराज शब्द भेदी बाण छोड़ने में माहिर सूरमा था। चंद बरदाई ने गोरी तक इसकी इस कला के प्रदर्शन की बात पहुँचाई। गोरी ने मंजूरी दे दी। प्रदर्शन के दौरान गोरी के शाबास लफ्ज के उद्घोष के साथ ही भरी महफिल में अंधे पृथ्वीराज ने गोरी को शब्दभेदी बाण से मार गिराया तथा इसके पश्चात दुश्मन के हाथ दुर्गति से बचने के लिए दोनों ने एक-दूसरे का वध कर दिया।
जवाब देंहटाएंपंकज जी, आपने तो मुझे एक नई जानकारी दे दी. मुझे नहीं पता था कि मोहम्मद गोरी का अंत ऐसे हुआ था. इसके लिए धन्यवाद.
हटाएंsir itihas ke anusar muhammad gaori ne prathviraj ko 1192 me parajit kiya aur fir 1249 me yashapal ko ye samajh me nahi aya krapya bataye.
हटाएं@Nilabh Verma जी
जवाब देंहटाएंएक बात समझ में नहीं आई कि कहा तो ये जाता है कि युद्ध पृथ्वीराज और मोहम्मद गौरी के बीच में हुए थे और सोलह बार पृथ्वीराज से हारने के बाद सत्रहवी बार गौरी ने पृथ्वीराज को पराजित किया था लेकिन आपकी पोस्ट के मुताबिक़ युद्ध यशपाल और गौरी के बीच में हुए थे ,ऐसा कैसे हो सकता है ?????
देव मोहम्मद गौरी ने अनेक राजाओं से युद्ध किया है न केवल पृथ्वीराज चौहान जी से ...
हटाएंमोहम्मद गोरी का शासनकाल बहुत लम्बा रहा है और खासकर पृथ्वीराज चौहान के वंश से तो उसकी व्यक्तिगत शत्रुता थी.
हटाएंखुब सूरत ओर अपनी परम्परा को जीवित रखने का एक महतवपूर्ण कदम...आभार
जवाब देंहटाएंaaj tak sab se vanchit rah jata agar aap na post karte to
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