पुराणों के अनुसार दक्ष परमपिता ब्रह्मा के पुत्र थे जो उनके दाहिने पैर के अंगूठे से उत्पन्न हुए थे। ये ब्रह्मा के उन प्रथम १६ पुत्रों में थे जो "प्रजापति" कहलाते थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियाँ थी - स्वयंभू मनु की कन्या प्रसूति और वीरणी (पंचजनी)। प्रसूति से दक्ष की चौबीस कन्याएँ थीं और वीरणी से साठ कन्याएँ। उन सभी के लिए दक्ष प्रजापति ने श्रेष्ठ वर खोजे। आइये उनकी पुत्रियों और उनके पतियों के विषय में जानते हैं।
पंचकन्या (पंचसती)
हिन्दू धर्म में पंचकन्याओं का बड़ा महत्त्व है जिन्हे पंचसती भी कहा जाता है। ये पांचो सम्पूर्ण नारी जाति के सम्मान की साक्षी मानी जाती हैं। विशेष बात ये है कि इन पांचो स्त्रियों को अपने जीवन में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन सभी स्त्रियों के सम्बन्ध एक से अधिक पुरुषों से रहा जिस कारण पतिव्रत धर्म पर प्रश्न भी उठाए गए। किन्तु इन सब के पश्चात् भी वे हमेशा पवित्र और पतिव्रत धर्म की प्रतीक मानी गई। विभिन्न वरदानों के कारण इन पाँचों का कौमार्य कभी भंग नहीं होता था, अर्थात ये पाँचों सदैव कुँवारी ही रहती थी। यही कारण है कि इन्हे पंचकन्या कहा जाता है। इनके बारे में कहा गया है -
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