भैरव या काल भैरव भगवान शिव के रूद्र-रूप है तथा उनके गणो में से एक है। उन्हें भगवान रूद्र के समकक्ष ही माना गया है तथा वे माता भवानी के अनुचार भी है। भैरव देवता को रात्रि का देवता भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथो में भगवान शिव के दो रूपों का वर्णन मिलता है जिसमे भगवान शिव का एक स्वरूप जगत के रक्षक व् भक्तो को अभ्य देने वाले विश्वेशर के रूप में जाना जाता है तो दूसरा स्वरूप ठीक उसके विपरीत है।
अपने दूसरे स्वरूप कालभैरव के रूप में भगवान शिव दुष्टो का संहार करते है और उनका यह रूप अति विकराल और भयंकर है। भगवान भैरव के मुख्यतः आठ स्वरूप है जिन्हे अष्टभैरव कहते हैं। उनके इन आठो स्वरूपों को पूजने से वे अपने भक्तो पर प्रसन्न होते है तथा उन्हें अलग-अलग फल प्रदान करते है। अष्टभैरव के सभी मंदिर तमिलनाडु राज्य में हैं।
१. क्रोध भैरव: भगवान भैरव के इस रूप का रंग नीला होता है तथा इनकी सवारी गरुड़ होती है। भगवान शिव के भाति ही क्रोध भैरव की भी तीन आंखे होती है तथा ये दक्षिण और पश्चिम के स्वामी माने जाते है। काल भैरव के इस रूप की पूजा करने पर सभी प्रकार की मुसीबतो और परेशानियों से मुक्ति मिलती है तथा व्यक्ति में इन मुसीबतो एवं परेशनियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- पत्नी: वैष्णवी
- वाहन: गरुड़
- दिशा: दक्षिण-पश्चिम
- मंदिर: थिरुविसन्नलूर (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: रोहिणी
- रत्न: मोती
२. कपाल भैरव: भैरव जी का यह रूप चमकीला होता है तथा इस रूप में वह हाथी पर सवारी करते है। इस रूप में काल भैरव के चार हाथ होते है, अपने दाए दो हाथो में वे त्रिशूल और तलवार पकड़े है तथा उनके बाये दो हाथो में एक अश्त्र और एक पात्र है। भगवान भैरव के इस रूप की पूजा करने पर व्यक्ति सभी क़ानूनी कार्रवाइयों से मुक्ति प्राप्त करता है तथा उसके सारे अटके काम बनने लगते है।
- पत्नी: इन्द्राणी
- वाहन: गज
- दिशा: उत्त्तर-पश्चिम
- मंदिर: थिरुवीरकुडी (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: भरणी
- रत्न: हीरा
३. असितांग भैरव: असितांग भैरव की भी तीन आँखे होती है तथा इनका पूरा शरीर काले रंग का है। असितांग भैरव की सवारी हंस है तथा ये अपने गले में कपाल की माला धारण किये हुए है। इनका अस्त्र भी कपाल है। भगवान भैरव की इस रूप की पूजा करने पर व्यक्ति की कलात्मक क्षमता बढ़ती है।
- पत्नी: ब्राह्मी
- वाहन: हंस
- दिशा: पूर्व
- मंदिर: सत्तानाथर एवं कंडीश्वर (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: पुर्नरपुषम
- रत्न: पीला नीलम
४. चंदा भैरव: भगवान भैरव का चंदा रूप सफेद रंग का है तथा वे तीन आँखों से सुशोभित है। इस रूप में वह मोर की सवारी करते है। अपने चंदा रूप में भगवान भैरव एक हाथ में तलवार, दूसरे हाथ में पात्र, तीसरे हाथ में तीर व चौथे हाथ में धनुष धारण किये हुए है। भगवान भैरव के इस रुप को पूजने वाला व्यक्ति अपने शत्रुओ पर विजयी प्राप्त करता है तथा हर कार्य में उसे सफलता प्राप्त होती है।
- पत्नी: कौमारी
- वाहन: मयूर
- दिशा: दक्षिण
- मंदिर: वैठीश्वर (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: मृगशिष
- रत्न: मूंगा
५. रुरु भैरव: भैरव का रुरु (गुरु) रूप अत्यंत प्रभावी व आकर्षक है इस रूप में वे बैल पर सवारी करते है। इस रूप में वे अपने हाथो पर कुल्हाड़ी, पात्र, तलवार और कपाल धारण किये हुए है तथा उनके कमर में एक सर्प लिपटा हुआ है। गुरु भैरव की पूजा करने पर समस्त ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- पत्नी: माहेश्वरी
- वाहन: बैल
- दिशा: दक्षिण-पूर्व
- मंदिर: रत्नगिरीश्वर (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: कार्तिक
- रत्न: माणिक
६. संहार भैरव: संहार भैरव का रूप बहुत ही अद्भुत है इस रूप में उनका पूरा शरीर लाल रंग का है। संहार भैरव इस रूप में नग्न है तथा उनके मष्तक में कपाल स्थापित है वह भी लाल रंग का। उनका वाहन कुत्ता है तथा उनकी तीन आँखे है व उनके शरीर में साँप लिपटा हुआ है। संहार भैरव के इस रूप की पूजा करने पर व्यक्ति अपने समस्त पापो से मुक्ति प्राप्त करता है।
- पत्नी: चंडी
- वाहन: श्वान
- दिशा: उत्तर-पूर्व
- मंदिर: थिरुवेंकाडु एवं होसुर (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: रेवती
७. उन्मत्त भैरव: उन्मत्त भैरव का शरीर पीले रंग का है तथा वे घोड़े पर सवारी करते है। भैरव का यह रूप शांत स्वभाव का कहलाता है तथा इनकी पूजा अर्चना करने से व्यक्ति अपने सभी नकरात्मक विचारो से मुक्ति पाता है व उसे शांत एवं सुखद भावना की अनुभूति होती है।
- पत्नी: वाराही
- वाहन: अश्व
- दिशा: पश्चिम
- मंदिर: विजहिनाथर (तमिलनाडु)
८. भीषण भैरव: भीषण भैरव की सवारी शेर है तथा उन्होंने अपने एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे में तलवार, तीसरे में त्रिशूल व चौथे में एक पात्र पकड़ा हुआ है। भगवान भैरव की भीषण रूप में पूजा करने पर बुरी आत्माओ और भूतो से छुटकारा मिलता है।
- पत्नी: चामुण्डी
- वाहन: सिंह
- दिशा: उत्तर
- मंदिर: रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- नक्षत्र: स्वाति
Bhai ji bhairav mata ke anuchar h na ki unke pati
जवाब देंहटाएंभाई, मैंने कहाँ लिखा है कि वे उनके पति हैं।
हटाएंअष्ट मातृका के पति अष्ट भैरव नही है, भैरव यहाँ रक्षक है। जैसे इंद्राडी के पति इंद्र है ना की कपाल भैरव।
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