सर्वप्रथम आप सभी को अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ। अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है जिस कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान अदि कर भगवान नारायण की पूजा, विशेषकर श्वेत पुष्प से करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा दान का कभी भी क्षय नहीं होता। इस व्रत की एक विशेष कथा प्रचलित है जो धर्मदास नामक वैश्य की है जो अक्षय तृतीया के व्रत के कारण बहुत धनी बना और ऐसा माना जाता है कि आगे चलकर वही सम्राट चन्द्रगुप्त के रूप में जन्मा।
भारत में इस दिन से ही विवाह मुहूर्त आरम्भ हो जाता है और लग्न का मांगलिक कार्य किया जाता है। विशेषकर बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया आज से पूर्णिमा तक बडी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें कुँवारी कन्याएँ अपने भाई, पिता तथा गाँव-घर और कुटुंब के लोगों को शगुन बाँटती हैं और गीत गाती हैं। आज का दिन सभी दृष्टि से शुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य आज शुरू किया जा सकता है। इससे जुडी कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं:
- आज ही के दिन महर्षि जमदग्नि एवं माता रेणुका के पुत्र, भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम का जन्म हुआ था। इसी कारण अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती भी कहा जाता है।
- यक्षराज कुबेर को आज के दिन भगवान शिव की कृपा से धन के देवता की पदवी और अनंत खजाना प्राप्त हुआ था।
- आज के ही दिन महाभारत का भीषण युद्ध समाप्त हुआ था और अधर्म पर धर्म की विजय हुई थी।
- आज ही के दिन माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी माना जाता है।
- इसी दिन देवी गंगा श्रीराम के पूर्वज भागीरथ की तपस्या के कारण स्वर्ग को त्याग कर महादेव की जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर आई।
- दुर्भाग्य से आज के ही पवित्र दिन पर द्रौपदी के चीर-हरण का प्रयास किया गया था जिससे श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की थी।
- ब्रह्माजी के मानस पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज के दिन ही माना जाता है।
- आज के दिन शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव नहीं होता।
- सतयुग एवं त्रेतायुग का आरम्भ आज के दिन माना जाता है।
- श्रीकृष्ण पहली बार सुदामा से महर्षि संदीपनी के आश्रम में आज ही मिले थे।
- प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपाट आज के दिन खोले जाते हैं और श्रद्धालु ईश्वर के दर्शन करते हैं।
- आज के दिन ही वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं।
- आज के दिन कलियुग का प्रभाव सबसे कम रहता है।
- आज के दिन ही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव ने एक वर्ष की पूर्ण तपस्या करने के पश्चात इक्षु (गन्ना) के रस का पान किया था। इसी कारण जैन धर्म में भी ये दिन इक्षु तृतीया या अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया टिपण्णी में कोई स्पैम लिंक ना डालें एवं भाषा की मर्यादा बनाये रखें।