सभी जानते हैं कि द्रौपदी पाँचों पांडवों की पत्नी थी किन्तु उसके अतिरिक्त भी सभी पांडवों ने अन्य विवाह भी किये। हालाँकि द्रौपदी को पांडवों की पटरानी या ज्येष्ठ रानी कहा जाता है किन्तु वो कुरुकुल की पहली पुत्रवधु नहीं थी। पांडवों में सबसे पहले भीम का विवाह हिडिम्बा नमक राक्षसी से हुआ किन्तु राक्षसी होने तथा कुंती को दिए वचन के कारण भीम ने कभी उसे अपने साथ नहीं रखा और ना ही उसकी गणना कभी कुरुकुल की कुलवधू में हुई। द्रौपदी ने पाँचों पांडवों से विवाह किया और वे बारी-बारी एक वर्ष के लिए एक पांडव की पत्नी बनकर रहती थी।
उसे महर्षि व्यास द्वारा अक्षतयोनि रहने का वरदान प्राप्त था इसी कारण एक वर्ष के पश्चात वो पुनः कौमार्य धारण कर लेती थी। द्रौपदी ने पाँचो पांडवों से एक-एक पुत्र प्राप्त किये जिन्हे उप-पांडव कहा जाता था। पाँचों पांडवों के जन्म में एक-एक वर्ष का अंतराल था। उसी तरह पांडवों के पाँचों पुत्रों की आयु मे भी एक-एक वर्ष का अंतर था किन्तु उनके क्रम में अंतर था (अर्जुन के वनवास के कारण)। दुर्भाग्य से सभी की हत्या महाभारत युद्ध में अश्वथामा के हाथों हुई जिसने उन सब को भूल से पांडव समझ कर मार डाला।
चूँकि द्रौपदी एक पांडव के साथ केवल एक ही वर्ष तक रह सकती थी, उसके अतिरक्त भी पांडवों ने अन्य विवाह किये। हालाँकि उनका वर्णन महाभारत में अधिक नहीं है किन्तु उससे उनका महत्त्व कम नहीं होता। उनकी अन्य पत्नियों से भी उन्हें पुत्रों की प्राप्ति हुई जिसका वर्णन नीचे दिया जा रहा है।
- युधिष्ठिर
- द्रौपदी
- प्रतिविन्ध्य: ये उप-पांडवों में प्रथम और सबसे ज्येष्ठ पुत्र थे। इसका एक नाम श्रुतविन्ध्य भी कहा गया है। महाभारत के युद्ध में उसने शकुनि को परास्त किया था। युद्ध के १५वें दिन प्रतिविन्ध्य ने अश्वत्थामा का वीरता से सामना किया। युद्ध के १६वें दिन उसने अभिसार राज्य के राजा चित्र का वध किया। प्रतिविन्ध्य का एक पुत्र भी था उसका नाम था यौधेय। हालाँकि उसने नाना का राज्य संभाला।
- सुथानु: ये युधिष्ठिर की पुत्री थी जिसका विवाह श्रीकृष्ण और सत्यभामा के पुत्र भानु से हुआ।
- देविका: ये शिवि राज्य के महाराज गोवसेना की पुत्री थी। इन्होने अपने स्वयंवर में धर्मराज युधिष्ठिर का वरण किया था।
- यौधेय: देविका का पुत्र। इसके विषय में महाभारत में बहुत अधिक जानकारी नहीं मिलती। ऐसा वर्णन कि इसने भी महाभारत युद्ध में भाग लिया था और उसमें ही उसकी मृत्यु हुई। युधिष्ठिर के दूसरे पुत्र प्रतिविन्ध्य के पुत्र का नाम भी यौधेय ही था।
- भीम
- हिंडिम्बा: ये एक राक्षसी थी जो राक्षसराज हिडिम्ब की बहन थी। हिंडिंब का वध भीम ने किया और हिंडिबा के अनुरोध पर कुंती ने भीम का विवाह हिंडिबा से कराया। किन्तु चूँकि हिंडिबा आर्यकन्या नहीं थी इसी कारण उसकी गिनती कुरुकुल की पुत्रवधुओं में नहीं की जाती। ना ही उसे भीम ने कभी अपने साथ रखा। घटोत्कच के जन्म के बाद ही भीम उसे छोड़ कर वापस कुंती के पास आ गए। हालाँकि बाद में वे लोग कई बार मिले।
- घटोत्कच: भीम का सबसे बड़ा पुत्र, किन्तु चूँकि वो आर्य कन्या से नहीं जन्मा था इसी कारण उसे कुरु राजकुमारों में नहीं गिना गया। महाभारत के युद्ध में घटोत्कच ने अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया। युद्ध के १४वें दिन कर्ण ने उसका वध कर दिया। घटोत्कच ने मुर राक्षस की कन्या मौर्वी से विवाह किया जिससे उसके तीन पुत्र हुए - अंजनपर्व, मेघवर्ण और बर्बरीक।
- द्रौपदी
- सुतसोम: उप-पांडवों में इनका क्रम दूसरा था और ये अपने पिता भीम की भांति ही वीर थे। इन्होने युद्ध के पहले ही दिन दुर्योधन के भाई विकर्ण को चुनौती दी और उससे युद्ध किया। ऐसा वर्णन है कि शकुनि के विरुद्ध युद्ध में ये उसका वध कर देते किन्तु सहदेव की प्रतिज्ञा को ध्यान में रखकर इन्होने ऐसा नहीं किया। द्रोणाचार्य के विरुद्ध युद्ध में भी इन्होने बड़ी वीरता का परिचय दिया।
- बालंधरा (जलंधरा): ये काशी की राजकुमारी और दुर्योधन की पत्नी भानुमति की छोटी बहन थी। जलंधरा के स्वयंवर में दुर्योधन सहित आर्यावर्त के सभी वीर पहुंचे थे किन्तु भीम ने सबको परास्त करते हुए उन्हें स्वयंवर में विजित किया।
- सवर्ग: ये भीम के सबसे छोटे पुत्र थे। भीम के तीनों पुत्रों में केवल यही थे जिन्होंने युद्ध में भाग नहीं लिया। सवर्ग ने हस्तिनापुर की बजाय काशी के राजसिंहासन को संभाला और उसे आगे बढ़ाया।
- अर्जुन
- द्रौपदी: द्रौपदी को वास्तव में अर्जुन ने ही स्वयंवर में जीता था किन्तु उसे पांचों पांडवों से विवाह करना पड़ा।
- श्रुतकर्मा: उप-पांडवों में इनका क्रम पांचवा था और ये उप-पांडवों में सबसे छोटे थे। इन्होने युद्ध में दुःशासन और अश्वत्थामा का वीरता से सामना किया। ये अपने पिता की भांति ही धनुर्विद्या में पारंगत थे। युद्ध के १६वें दिन इन्होने चित्रसेन का वध किया।
- उलूपी: ये एक नाग कन्या था। जब अर्जुन को वनवास हुआ तो उलूपी इनके रूप पर रीझ गयी और इन्हे अपने साथ नागलोक ले गयी। वहाँ इन्होने विवाह कर लिया। जब उलूपी के पिता को इस बात का पता चला तो उन्होंने ये शर्त रखी कि उनका पुत्र नागलोक की ही धरोहर रहेगा। जब बभ्रुवाहन के विरुद्ध युद्ध में अर्जुन की मृत्यु हो गयी तब उलूपी ने ही नागमणि द्वारा उन्हें पुनर्जीवित किया था।
- इरावान: इन्होने महाभारत में बड़ी वीरता से युद्ध किया। इनकी एक इच्छा थी कि इनका विवाह हो, किन्तु युद्ध में जाने वाले योद्धा से कौन विवाह करता। तब श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप लेकर इनके वध से एक दिन पहले इनसे विवाह किया और अगले ही दिन ही इनका वध हो गया। इन्होने युद्ध में कई योद्धाओं को परास्त किया। ८वें दिन इनका वध अलम्बुष नामक राक्षस ने कर दिया।
- चित्रांगदा: ये मणिपुर की राजकुमारी थी। जब अपने वनवास के समय अर्जुन मणिपुर पहुंचे तब वहां उन्होंने चित्रांगदा से विवाह किया। किन्तु मणिपुर के राजा और चित्रांगदा के पिता ने अर्जुन पर ये प्रतिबन्ध डाल दिया कि उनकी पुत्री और अर्जुन का पुत्र सदैव मणिपुर में ही रहेंगे। यही कारण था कि बभ्रुवाहन ने महाभारत के युद्ध में भाग नहीं लिया।
- बभ्रुवाहन: इन्होने तपस्या कर देवी गंगा से एक ऐसे बाण को प्राप्त किया जो अमोघ था। महाभारत युद्ध के पश्चात जब पांडव पूरे आर्यावर्त को जीत रहे थे, उसी समय अर्जुन मणिपुर पहुंचे जहाँ इनकी भेंट बभ्रुवाहन से हुई। दोनों उस समय एक दूसरे को नहीं जानते थे। वहां उनका युद्ध हुआ और अपने अमोघ बाण से बभ्रुवाहन ने अर्जुन का वध कर दिया। बाद में जब उसे चित्रांगदा से सत्य का पता चला तो वे बड़ा पछताए। फिर अर्जुन की दूसरी पत्नी उलूपी ने नागमणि द्वारा उन्हें जीवनदान दिया।
- सुभद्रा: ये बलराम और श्रीकृष्ण की बहन थी। दुर्योधन इनसे विवाह करना चाहता था इसी कारण श्रीकृष्ण के परामर्श से अर्जुन ने इनका हरण कर लिया। इससे बलराम बड़े क्रोधित हुए और अर्जुन से युद्ध करने को तत्पर हुए किन्तु श्रीकृष्ण ने सबको समझा बुझा कर दोनों का विवाह करवा दिया।
- अभिमन्यु: ये अपने पिता की तरह ही अद्भुत योद्धा थे। महाभारत के सबसे बड़े वीरों में इनका नाम आता है। द्रोणाचार्य ने जब चक्रव्यूह की रचना की तो अर्जुन की अनुपस्थिति में उसे तोड़ने का दायित्व इन्होने लिया। उसी चक्रव्यूह में सात महारथियों ने मिलकर इनकी हत्या कर दी।
- नकुल
- द्रौपदी
- शतानीक: उप-पांडवों में इनका क्रम तीसरा था। इनका नाम कुरु साम्राज्य के महान राजर्षि शतानीक के नाम पर रखा गया था। प्रधान सेनापति धृष्टधुम्न ने इन्हे युद्ध में उप-सेनापति का पद दिया था और ये व्यूह निर्माण में उनकी सहायता करते थे। युद्ध में इन्होने भूतकर्मा का उनकी सारी सेना सहित नाश कर दिया था। इन्होने मगध के राजा जयत्सेन को पराजित किया और भीम की सहायता करते हुए कलिंग के राजकुमार का वध कर दिया।
- करेणुमती: करेणुमती श्रीकृष्ण के चचेरे भाई चेदि नरेश शिशुपाल की पुत्री और धृष्टकेतु की बहन थी। नकुल का वरण इन्होने स्वयंवर में किया था।
- निरमित्र: निरमित्र के भी महाभारत के युद्ध में भाग लेने का वर्णन नहीं मिलता है। इन्होने आगे चल कर अपने पिता के मामा शल्य के मद्र के साम्राज्य को संभाला।
- सहदेव
- द्रौपदी
- श्रुतसेन: उप-पांडवों में इनका स्थान चौथा था। ऐसा वर्णन है कि शकुनि ने इन्हे युद्ध में परास्त किया था। युद्ध के चौदहवें दिन इन्होने भूरिश्रवा के छोटे भाई शल का वध कर दिया। जब अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घेर कर मारा गया तो दुःशासन के पुत्र ने उसपर अंतिम प्रहार किया था जिससे अभिमन्यु की मृत्यु हुई। श्रुतसेन ने अभिमन्यु का प्रतिशोध लिया और दुःशासन के उस पुत्र का युद्ध में वध कर दिया।
- विजया: इनका सम्बन्ध भी मद्र से ही है। ये मद्रराज शल्य के भाई द्युतिमान की पुत्री थी और इन्होने सहदेव का वरण अपने स्वयंवर में किया।
- सुहोत्र: ये भी अपने पिता की भांति ही वीर थे किन्तु इनके भी युद्ध में भाग लेने का वर्णन नहीं मिलता है। महाभारत युद्ध के बाद सुहोत्र अपनी माता विजय के साथ मद्र में ही बस गए।
युधिष्ठिर पुत्री सुथानु की जानकारी से अनभिज्ञ था। आपने नयी जानकारी दी। आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
हटाएंBahut hi sundar jaankari di aap ne.bahut bahut dhanyawad sir
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