जब आप भागलपुर (बिहार) के खंजरपुर नामक स्थान पहुँचते हैं तो आपको एस.बी.आई. क्षेत्रीय कार्यालय के बाद और एस.एम. कॉलेज से पहले, बिलकुल चौराहे पर एक त्रिकोणीय भूमि पर स्थित एक छोटा किन्तु पुराना और महत्वपूर्ण हनुमान मंदिर दिखता है। इस मंदिर का नाम ही "जय हनुमान मंदिर" है। इस मंदिर की स्थापना आज से ५१ वर्ष पूर्व १९६७ में की गयी थी। इससे पहले उस खाली स्थान पर शहर के रिक्शेवालों का जमावड़ा रहता था जो मंदिर बनने के बाद उसी जगह थोड़ा बाईं ओर चला गया है। पहले वहाँ केवल हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की गयी लेकिन बाद में वाहनों की अधिक आवाजाही को देखते हुए एक छोटा सा मंदिर बना दिया गया।
ये मंदिर स्वायत्त है और इसके अपने पुजारी हैं जिनपर इस मंदिर की जिम्मेदारी है। पहले ये मंदिर २४ घंटे खुला रहता था किन्तु अब रात्रि के समय इसे बंद कर दिया जाता है। हालाँकि उसके बाद भी आप बाहर से मूर्ति के दर्शन कर सकते हैं। ये मंदिर सुबह ५ बजे से रात्रि ९ बजे तक सबके लिए खुला रहता है और इस मंदिर में किसी भी जाति अथवा धर्म के लोग बेखटक प्रवेश कर सकते हैं। यहाँ दिन में दो बार सुबह और शाम नियमित आरती होती है। महिला कॉलेज के निकट होने के कारण यहाँ दिन भर भीड़ लगी रहती है।
इस मंदिर में हनुमानजी को श्रीराम और लक्ष्मण को अपने कन्धों पर उठाये हुए दिखाया गया है। उनके एक हाथ में गदा है और उनके चरणों के नीचे एक राक्षस को दबा हुआ दिखाया गया है। इसमें उस प्रसंग को दर्शाया गया है जब बजरंगबली श्रीराम और लक्ष्मण को उठा कर पर्वत पार करते हैं। राक्षस को कदाचित बुराई के प्रतीक के रूप में दिखा दिया गया है। इसमें हनुमान का रंग गाढ़ा लाल है जो कुमकुम के रंग को प्रदर्शित करता है।
ये मंदिर तो बहुत पुराना है किन्तु इसमें रखा शिवलिंग लगभग दो वर्ष पूर्व यहाँ रखा गया है। इस शिवलिंग की विशेषता ये है कि प्रतिदिन इसका अभिषेक केवल किसी महिला द्वारा ही किया जा सकता है। पुरुषों द्वारा इस शिवलिंग की पूजा की जा सकती है किन्तु अभिषेक की मनाही है। वर्षों से ये मान्यता रही है कि महिलाओं को शिवलिंग का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस प्रकार महिलाओं को शिवलिंग के अभिषेक का अधिकार देकर इस मंदिर ने एक तरह से इन रूढ़िवादी मान्यताओं को तोडा है जो अपने आप में एक बड़ा उदाहरण है।
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