कल से सावन का आरम्भ हुआ तो मैंने सोचा महादेव के १०८ पवित्र नामों से इसकी शुरुआत की जाये। भगवान शिव के इन नामों के विषय में एक कथा है कि जब नारायण क्षीरसागर में निद्रामग्न थे तो उनकी नाभि से एक कमलपुष्प पर परमपिता ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई। परमपिता सहस्त्र वर्षों तक भगवान विष्णु की चेतना में आने की प्रतीक्षा करते रहे। एक दिन उनके समक्ष सदाशिव एक अग्निमयी ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए किन्तु परमपिता ब्रह्मा ने उन्हें नमस्कार नहीं किया।
तब नारायण अपनी निद्रा से जागे और उन्होंने उस ज्योतिर्लिंग को शाष्टांग प्रणाम किया और फिर ब्रह्मदेव को भगवान शिव के प्रताप से अवगत कराया। तब ब्रह्मदेव को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उन्होंने उस ज्योतिर्लिंग को प्रणाम किया। तब ज्योतिरूपी सदाशिव ने भगवान ब्रह्मा को सृष्टि की रचना एवं नारायण को उसका पालन करने की प्रेरणा दी। इसपर नारायण ने कहा कि सृष्टि का नाश भी आवश्यक है। तब सदाशिव ने कहा कि समय आने पर मैं भी सृष्टि के विनाश का भार सँभालने के लिए अवतरित हूँगा। तब ब्रह्मदेव ने कहा कि सृष्टि के आरम्भ के पूर्व वे उन्ही से उत्पन्न होने की कृपा करें। भगवान सदाशिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली।
इसके बाद ब्रह्मा एवं विष्णु तप में लीन हो गए। तप समाप्त होने के बाद जब ब्रह्मदेव ने सृष्टि के सृजन का संकल्प लिया तो उन्होंने सदाशिव का ध्यान किया। उन्हें दिए वरदान के कारण उनके ही शरीर से सदाशिव ने एक बालक के रूप में जन्म लिया। जन्म लेते ही वो बालक घोर रुदन करने लगा। तब ब्रह्माजी ने उससे इसका कारण पूछा। इसपर इस बालक ने कहा कि उसका कोई नाम नहीं है इसी कारण वो रुदन कर रहा है। तब ब्रह्मदेव ने उसे "रूद्र"नाम दिया पर इसपर भी उसका रुदन नहीं रुका।
तब परमपिता ने उसे शर्व, भव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव ये सात और नाम दिए। आज भी रुद्ररूपी महादेव इन्ही आठ मुख्य नामों से जाने जाते हैं। किन्तु इसपर भी उस बालक का रुदन नहीं रुका। तब ब्रह्मा ने उनकी १०८ नामों के साथ स्तुति की तब जाकर उनका रुदन रुका। आगे चल कर रावण ने शिवस्त्रोत्रताण्डव में उनकी १००८ नामों के साथ पूजा की किन्तु महादेव के १०८ नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध और परम पवित्र हैं। विशेषकर श्रवण में जो भी इन नामों और मन्त्रों का जप करता है उसे निश्चय ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- रुद्र: ॐ रुद्राय नमः
- शर्व: ॐ शर्वाय नमः
- भव: ॐ भवाय नमः
- उग्र: ॐ उग्राय नमः
- भीम: ॐ भीमाय नमः
- पशुपति: ॐ पशुपतये नमः
- ईशान: ॐ ईशानाय नमः
- महादेव: ॐ महादेवाय नमः
- शिव: ॐ शिवाय नमः
- महेश्वर: ॐ महेश्वराय नमः
- शम्भू: ॐ शंभवे नमः
- पिनाकि: ॐ पिनाकिने नमः
- शशिशेखर: ॐ शशिशेखराय नमः
- वामदेव: ॐ वामदेवाय नमः
- विरूपाक्ष: ॐ विरूपाक्षाय नमः
- कपर्दी: ॐ कपर्दिने नमः
- नीललोहित: ॐ नीललोहिताय नमः
- शंकर: ॐ शंकराय नमः
- शूलपाणि: ॐ शूलपाणये नमः
- खटवांगी: ॐ खट्वांगिने नमः
- विष्णुवल्लभ: ॐ विष्णुवल्लभाय नमः
- शिपिविष्ट: ॐ शिपिविष्टाय नमः
- अंबिकानाथ: ॐ अंबिकानाथाय नमः
- श्रीकण्ठ: ॐ श्रीकण्ठाय नमः
- भक्तवत्सल: ॐ भक्तवत्सलाय नमः
- त्रिलोकेश: ॐ त्रिलोकेशाय नमः
- शितिकण्ठ: ॐ शितिकण्ठाय नमः
- शिवाप्रिय: ॐ शिवा प्रियाय नमः
- कपाली: ॐ कपालिने नमः
- कामारी: ॐ कामारये नमः
- अंधकारसुरसूदन: ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः
- गंगाधर: ॐ गंगाधराय नमः
- ललाटाक्ष: ॐ ललाटाक्षाय नमः
- कालकाल: ॐ कालकालाय नमः
- कृपानिधि: ॐ कृपानिधये नमः
- परशुहस्त: ॐ परशुहस्ताय नमः
- मृगपाणि: ॐ मृगपाणये नमः
- जटाधर: ॐ जटाधराय नमः
- कैलाशी: ॐ कैलाशवासिने नमः
- कवची: ॐ कवचिने नमः
- कठोर: ॐ कठोराय नमः
- त्रिपुरान्तक: ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः
- वृषांक: ॐ वृषांकाय नमः
- वृषभारूढ़: ॐ वृषभारूढाय नमः
- भस्मोद्धूलितविग्रह: ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः
- सामप्रिय: ॐ सामप्रियाय नमः
- स्वरमयी: ॐ स्वरमयाय नमः
- त्रयीमूर्ति: ॐ त्रयीमूर्तये नमः
- अनीश्वर: ॐ अनीश्वराय नमः
- सर्वज्ञ: ॐ सर्वज्ञाय नमः
- परमात्मा: ॐ परमात्मने नमः
- सोमसूर्याग्निलोचन: ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः
- हवि: ॐ हविषे नमः
- यज्ञमय: ॐ यज्ञमयाय नमः
- सोम: ॐ सोमाय नमः
- पंचवक्त्र: ॐ पंचवक्त्राय नमः
- सदाशिव: ॐ सदाशिवाय नमः
- विश्वेश्वर: ॐ विश्वेश्वराय नमः
- वीरभद्र: ॐ वीरभद्राय नमः
- गणनाथ: ॐ गणनाथाय नमः
- प्रजापति: ॐ प्रजापतये नमः
- हिरण्यरेता: ॐ हिरण्यरेतसे नमः
- दुर्धर्ष: ॐ दुर्धर्षाय नमः
- गिरीश: ॐ गिरीशाय नमः
- अनघ: ॐ अनघाय नमः
- भुजंगभूषण: ॐ भुजंगभूषणाय नमः
- भर्ग: ॐ भर्गाय नमः
- गिरिधन्वा: ॐ गिरिधन्वने नमः
- गिरिप्रिय: ॐ गिरिप्रियाय नमः
- कृत्तिवासा: ॐ कृत्तिवाससे नमः
- पुराराति: ॐ पुरारातये नमः
- भगवान्: ॐ भगवते नमः
- प्रमथाधिप: ॐ प्रमथाधिपाय नमः
- मृत्युंजय: ॐ मृत्युंजयाय नमः
- सूक्ष्मतनु: ॐ सूक्ष्मतनवे नमः
- जगद्व्यापी: ॐ जगद्व्यापिने नमः
- जगद्गुरू: ॐ जगद्गुरुवे नमः
- व्योमकेश: ॐ व्योमकेशाय नमः
- महासेनजनक: ॐ महासेनजनकाय नमः
- चारुविक्रम: ॐ चारुविक्रमाय नमः
- भूतपति: ॐ भूतपतये नमः
- स्थाणु: ॐ स्थाणवे नमः
- अहिर्बुध्न्य: ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः
- दिगम्बर: ॐ दिगंबराय नमः
- अष्टमूर्ति: ॐ अष्टमूर्तये नमः
- अनेकात्मा: ॐ अनेकात्मने नमः
- सात्विक: ॐ सात्विकाय नमः
- शुद्धविग्रह: ॐ शुद्धविग्रहाय नमः
- शाश्वत: ॐ शाश्वताय नमः
- खण्डपरशु: ॐ खण्डपरशवे नमः
- अज: ॐ अजाय नमः
- पाशविमोचन: ॐ पाशविमोचकाय नमः
- मृड: ॐ मृडाय नमः
- देव: ॐ देवाय नमः
- अव्यय: ॐ अव्ययाय नमः
- हरि: ॐ हरये नमः
- भगनेत्रभिद्: ॐ भगनेत्रभिदे नमः
- अव्यक्त: ॐ अव्यक्ताय नमः
- दक्षाध्वरहर: ॐ दक्षाध्वरहराय नमः
- हर: ॐ हराय नमः
- पूषदन्तभित्: ॐ पूषदन्तभिदे नमः
- अव्यग्र: ॐ अव्यग्राय नमः
- सहस्राक्ष: ॐ सहस्राक्षाय नमः
- सहस्रपाद: ॐ सहस्रपदे नमः
- अपवर्गप्रद: ॐ अपवर्गप्रदाय नमः
- अनन्त: ॐ अनन्ताय नमः
- तारक: ॐ तारकाय नमः
- परमेश्वर: ॐ परमेश्वराय नमः
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