कई वर्षों से सोच रहा था कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर एक लेख लिखूं। इस बार श्रावण के इस पवित्र अवसर पर हरेक ज्योतिर्लिंग पर एक लेख प्रकाशित करूँगा। सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग का वर्णन तब आता है जब सृष्टि के आरम्भ में भगवान विष्णु एवं परमपिता ब्रह्मा के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाता है। तब उनके बीच अग्नि प्रज्वलित एक ज्योतिर्लिंग उपस्थित होता है।
ना ब्रह्मा और ना ही विष्णु उस महान आदि ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत पता कर पाते हैं। अंततः उसका छोर ढूंढने के लिए ब्रह्मा हंस के रूप में ऊपर और विष्णु वाराह के रूप में नीचे जाते हैं किन्तु १००० वर्षों तक निरंतर चलने के बाद भी वे दोनों उस ज्योतिर्लिंग का कोई ओर छोर नहीं ढूंढ पाते। वापस आकर ब्रह्मा असत्य कह देते हैं कि उन्होंने छोर ढूंढ लिया है जिसके बाद सदाशिव उन्हें दर्शन देकर ब्रह्माजी को उनके असत्य के लिए धिक्कारते हैं और विष्णु को उनसे श्रेष्ठ घोषित करते हैं।
पुराणों में कदाचित ये सबसे पहला प्रकरण है जहाँ ज्योतिर्लिंग या शिवलिंग का वर्णन आता है। पुराणों के अनुसार ही पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ भगवान शिव प्रकट हुए वो स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाया। ये मुख्य रूप से १२ हैं। इसी के सन्दर्भ में हमारे धार्मिक ग्रंथों में श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग मन्त्र का भी वर्णन है जो इस प्रकार है:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।
कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥
अर्थात: सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन। उज्जैन में महाकाल, ममलेश्वर में ॐकारेश्वर। चिताभूमि (देवघर) में बैद्यनाथ, डाकिन्या में भीमाशंकर। सेतुबंध (रामेश्वरम) में रामेश्वर, दारुक वन में नागेश्वर। वाराणसी में विश्वेश्वर, गौतमी (गोदावरी) तट पर त्रयंबकेश्वर। हिमालय पर केदारनाथ, शिवालय में घुश्मेश्वर। जो कोई भी प्रातः एवं सायं इन ज्योतर्लिंगों का ध्यान करता है उसके पिछले साथ जन्मों के पाप छूट जाते हैं। जो कोई भी इनका भ्रमण एवं दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जो भी महेश्वर को संतुष्ट करता है वो कर्म के बंधनों से छूट जाता है।
मैं बिहार से हूँ इसीलिए बाबा बैद्यनाथ पर अत्यधिक आस्था है। इसी कारण पहले सोचा था कि बैद्यनाथ पर पहला लेख लिखूंगा किन्तु अब सोचता हूँ कि ज्योतिर्लिंगों के क्रम से ही लेख प्रकाशित किया जाये। तो परसों सोमनाथ पर पहला लेख लिखूँगा। ॐ नमः शिवाय।।
- श्री सोमनाथ - सौराष्ट्र (गुजरात)
- श्री मल्लिकार्जुन - श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश)
- श्री महाकालेश्वर - उज्जैन (मध्य प्रदेश)
- श्री ॐकारेश्वर - खण्डवा (मध्य प्रदेश)
- श्री केदारनाथ - रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड)
- श्री भीमाशंकर - रायचूर (महाराष्ट्र)
- श्री काशी विश्वनाथ - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
- श्री त्रयंबकेश्वर - नासिक (महाराष्ट्र)
- श्री नागेश्वर - जामनगर (गुजरात)
- श्री बैद्यनाथ - देवघर (झारखण्ड)
- श्री रामेश्वर - रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- श्री घृष्णेश्वर - औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
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