बिल्वपत्र (बेलपत्र)
एक बार देवर्षि नारद कैलाश पहुँचे, वहाँ उन्हें भगवान शंकर और माता पार्वती के दर्शन हुए। दोनों को प्रणाम करने के पश्चात देवर्षि ने महादेव से पूछा कि "हे प्रभु! पृथ्वी पर मनुष्य अत्यंत दुखी है और उनके दुखों का निवारण आपके द्वारा ही संभव है। अतः आप मुझे वो विधि बताइये जिससे मनुष्य आपको शीघ्र और सरलता से प्रसन्न कर सके। इसे जानकार मानव जाति का कल्याण होगा।"
नागवंश और नागपूजा - आधुनिक दृष्टिकोण
नागवंश और नागपूजा का इतिहास भारत में बहुत ही पुराना है। नागों को महर्षि कश्यप और दक्षपुत्री क्रुदु की संतान माना गया है जिनके १००० पुत्र हुए जिनसे १००० नागवंशों की स्थापना हुई, जिनमे से ८ सबसे प्रमुख हैं। नागों के ८ प्रमुख कुलों के विषय में एक लेख पहले ही प्रकाशित हो चुका है, उसके विषय में यहाँ पढ़ें।
रक्त्जा और स्वेदजा - अर्जुन और कर्ण के कई जन्मों की प्रतिस्पर्धा
पिछले लेख में हमने महारथी कर्ण के पिछले जन्म "दंबोधव" के बारे में पढ़ा। इससे हमें ये जानने को मिलता है कि इन दोनों के बीच की प्रतिस्पर्धा कितनी पुरानी है। जिन्हे दंबोधव के बारे में पता नहीं था उसके लिए ये कथा सुनना वास्तव में आश्चर्यजनक है। किन्तु उससे भी अधिक आश्चर्यजनक कथा हमें पद्मपुराण में मिलती है जिसमे इन दोनों की प्रतिदंद्विता का विवरण है जो सीधे त्रिदेवों से सम्बंधित है।
दंबोधव - जिसके पाप का दण्ड कर्ण ने भोगा
महाभारत ऐसी छोटी-छोटी कथाओं का समूह भी है जो हमें आश्चर्यचकित कर देती है। जी सुंदरता के साथ वेदव्यास ने सहस्त्रों छोटी-छोटी घटनाओं को एक साथ पिरोया है वो निश्चय ही अद्वितीय है। ऐसी ही एक कथा दंबोधव दानव की है जो सीधे तौर पर कर्ण से जुडी है और अर्जुन एवं श्रीकृष्ण भी उसका हिस्सा हैं। ये कथा वास्तव में कर्ण के पूर्वजन्म की कथा है जिसके कारण उसे अगले जन्म में भी इतना दुःख भोगना पड़ा।
पितृपक्ष (श्राद्धपक्ष)
श्राद्ध शब्द का अर्थ: श्रद्धा पूर्वक पितरों के लिए विधिपूर्वक जो कर्म किया जाता है उस कर्म को श्राद्ध कहते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार देश काल में पात्र द्वारा विधि पूर्वक श्रद्धा से पितरों के उद्देश्य से जो कार्य किया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। देश का अर्थ स्थान है काल का अर्थ समय है पात्र का अर्थ वह ब्राह्मण है जिसे हम श्राद्ध की सामग्री दे रहे हैं इन तीनों को भली-भांति समझ लेना चाहिए।
दुर्योधन की तीन गलतियाँ जिसके कारण उसकी पराजय हुई
महाभारत सागर की तरह विशाल है। इसके अंदर कथाओं के ऐसे-ऐसे मोती छिपे हैं जिसे ढूँढना कठिन है। कुछ प्रसंग व्यास रचित महाभारत में है तो कुछ शताब्दियों से लोक कथाओं के रूप में सुनी और सुनाई जाती रही है। ऐसा ही एक प्रसंग हम आज आपके लिए ले कर आए हैं। ये घटना तब की है जब भीम ने दुर्योधन की जंघा तोड़ी और वो अपनी अंतिम साँसें ले रहा था।
गौ माता का वैज्ञानिक महत्व
गौ की महिमा तो अपरम्पार है किन्तु फिर भी कुछ अनजान वैज्ञानिक तथ्य है जो जानने योग्य हैं। कहते है की गौमाता के खुर से उडी हुई धूलि को सिर पर धारण करता है वह मानों तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और सभी पापों से छुटकारा पा जाता है। पशुओं में बकरी, भेड़, ऊँटनी, भैंस इत्यादि का दूध भी काफी महत्व रखता है।
छठ महापर्व
आप सबों को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार, झारखण्ड एवं उत्तर प्रदेश में तो इस पर्व का महत्त्व सर्वाधिक है ही, अब भारत के हर क्षेत्र में इस पर्व को मनाया जाता है। भारत के बाहर, विशेषकर नेपाल, इंडोनेशिया, मॉरीशस, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिनाद, अमेरिका, इंग्लैण्ड, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, नूज़ीलैण्ड, मलेशिया एवं जापान में भी इसे वृहद् रूप से मनाया जाता है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है इसी कारण इसे "छठ" के नाम से जाना जाता है।
मैसूर का प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर
जब आप कर्नाटक के राजसी नगर मैसूर पहुँचते हैं तो मैसूर पैलेस के साथ-साथ जो स्थान आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है वो है १००० मीटर ऊपर चामुंडा पहाड़ी पर स्थित माँ चामुंडेश्वरी का मंदिर। मैसूर शहर से १३ किलोमीटर दूर ये मंदिर समुद्र तल से करीब १०६५ मीटर की उचाई पर है और इतनी उचाई पर मंदिर का निर्माण कर देना ही अपने आप में एक आश्चर्य है।
क्यों कायस्थ २४ घंटे के लिए कलम को नहीं छूते?
आप सभी को चित्रगुप्त पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं। चित्रगुप्त जयन्ती कायस्थ समाज के लिए तो सर्वश्रेष्ठ त्यौहार है ही लेकिन इसके अतिरिक्त अन्य समुदाय के लोग इस बड़ी श्रद्धा से मनाते है। बचपन में हमारे लिए इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण ये होता था कि इस दिन हमें पढाई-लिखाई से छुट्टी मिल जाती थी।
कैसे करें दीपावली पूजन?
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली पर श्री गणेश एवं माता लक्ष्मी की पूजा करने से मनुष्य को समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है। पूरे वर्ष घर में लक्ष्मी का वास रहता है और घर मे लक्ष्मी आने से समस्त समस्याओं का निवारण भी हो जाता है। दीपावली की रात्रि में भगवती लक्ष्मी का स्मरण करते हुए अपने गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र का निरंतर जप करने से वह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
अशोक सुंदरी
भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्रों श्री कार्तिकेय एवं श्रीगणेश के विषय में तो हम सभी जानते हैं किन्तु उनकी कन्या "अशोकसुन्दरी" के विषय में सबको अधिक जानकारी नहीं है। हालांकि महादेव की और भी पुत्रियां मानी गयी हैं, विशेषकर जिन्हें नागकन्या माना गया - जया, विषहरी, शामिलबारी, देव और दोतलि।
जब वीरवर लक्ष्मण की रक्षा हेतु माता सीता ने उन्हें निगल लिया
रामायण समुद्र की तरह अथाह है। रामायण और रामचरितमानस के अतिरिक्त भी रामायण के कई क्षेत्रीय प्रारूप हैं जो जनमानस में बहुत प्रसिद्ध हैं। आज जो कथा हम आपको बताने जा रहे हैं वो भी कुछ ऐसी ही है। इसका विवरण हमें रामायण अथवा रामचरितमानस में तो नहीं मिलता किन्तु ये कुछ भारतीय लोककथाओं में चाव से सुनी और सुनाई जाती है।
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