आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली पर श्री गणेश एवं माता लक्ष्मी की पूजा करने से मनुष्य को समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है। पूरे वर्ष घर में लक्ष्मी का वास रहता है और घर मे लक्ष्मी आने से समस्त समस्याओं का निवारण भी हो जाता है। दीपावली की रात्रि में भगवती लक्ष्मी का स्मरण करते हुए अपने गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र का निरंतर जप करने से वह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
जो दीपावली की रात्रि में जागरण करते हुए लक्ष्मी जी का ध्यान करते हुए जाग कर रात्रि व्यतीत करता है उसके घर में पूरे वर्ष लक्ष्मी का वास रहता है। विशेष रुप से घर की स्त्रियों का सम्मान करने वाले व्यक्ति के घर से लक्ष्मी कभी रुठ कर नहीं जाती इसलिए गृहलक्ष्मी का सम्मान भी अवश्य करना चाहिए। दीपावली की रात्रि में मांस मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
किस प्रकार करें पूजा
- सर्वप्रथम पूजा के लिए स्थान का चयन करें। वह स्थान पवित्र होना चाहिए। पूरब दिशा को पूजा के लिए शुभ माना जाता है। पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह सावधानीपूर्वक करना चाहिए। शुभ स्थान एवं शुद्ध भाव से पवित्र वस्तुओं विधिपूर्वक की गई पूजा अवश्य ही मनोवांछित फल प्रदान करती है।
- पूजा कराने के लिए सर्वप्रथम तो किसी योग्य ब्राह्मण को निमंत्रण देना चाहिए। सात्विक ब्राह्मण के द्वारा की गई पूजा अवश्य ही यजमान का कल्याण करती है। ब्राह्मण के न मिलने पर स्वयं भी पूजा कर सकते हैं।
- पूजा की सामग्री अपने सम्मुख रखकर पीतल आदि की थाली में स्वास्तिक एवं श्री लिखकर वह थाली चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। उसमें गणेश, अंबिका, लक्ष्मीनारायण जी को स्थापित करें। पुष्प श्री गणेश जी को अर्पण कर गणेश जी को नमस्कार करें एवं एक पुष्प नवग्रह का ध्यान करते हुए अर्पित करे।
- चौकी पर दीपक जलाकर लाल पुष्प लेकर के भगवती लक्ष्मी जी का ध्यान कर पुष्प माँ के चरणों में अर्पण करे। माँ को वस्त्र चढ़ाएं। वस्त्र के रुप में लाल चुनरी चढ़ाना उपयुक्त है। माँ को रोली से सुंदर तिलक करें एवं अक्षत चढ़ाए। एक लाल फूल माँ को चढ़ाएं एवं धूप-दीप दिखाएं।
- भगवती को मावे से बना भोग अर्पण करें। इसके अतिरिक्त दो लाल फल चढ़ाएं, पान अर्पण करे, पान के साथ दो लौंग दो इलायची और एक सुपारी भी चढ़ा सकते हैं। माँ के चरणों में दक्षिणा अर्पण करें और लाल पुष्प लेकर माँ से प्रार्थना करे।
- तिजोरी में रखी हुई लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए उसके साथ ही श्री कुबेर जी, माँ सरस्वती, माँ काली, तराजू अथवा जिस साधन से जीविका चलती हो, उसकी भी पूजा करनी चाहिए।
- किसी पात्र में ११ या २१ दीपक रखकर इनकी पूजा करें और हाथ में लावा-खील लेकर तीन बार दीपक के ऊपर से घुमाकर सभी दीपक के उपर चढ़ा दे। माँ के सम्मुख रात्रि भर जलने के लिए चार मुख वाला देसी घी के दीपक अथवा सरसों के तेल या तिल के तेल के दीपक का भी पूजन करना चाहिए। यह दीपक पूरी रात्रि माँ के सम्मुख जलता रहना चाहिए।
- अंत में महालक्ष्मी की आरती करे।
व्यापारी के लिए शुभ मुहूर्त
- प्रातः ६:४० से ८:०० बजे तक
- इसके पश्चात प्रातः १०:४५ १२:०५ तक
- इसके पश्चात दोपहर २:४५ से सायं ५:३० तक
गृहस्थी के लिए शुभ मुहूर्त
- सायं ७:०६ से १०:२२ तक
साधको लिए शुभ महूर्त
- रात्रि २२:२५ से मध्य रात्रि १२:०५ तक
ये लेख हमें पंडित रोहित वशिष्ठ से प्राप्त हुआ है। ये सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं और इन्होने सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय वाराणसी से आचार्य की डिग्री प्राप्त की है और साथ ही इन्होने भारतीय विद्या भवन नई दिल्ली से श्री ज्योतिष विषय में ज्योतिष अलंकार की उपाधि पायी है। धर्मसंसार में योगदान के लिए हम इनके आभारी हैं।
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