श्रीकृष्ण और ८ अंक का रहस्य

जिस प्रकार महाभारत में १८ अंक की विशेष महत्ता है उसी प्रकार श्रीकृष्ण के जीवन में भी ८ अंक का बहुत महत्त्व है। उनके जीवन के कई घटनाक्रम है जो ८ अंक से जुडी हुई हैं। आइये उनमे से कुछ जानते हैं: 
  • आधुनिक ग्रंथों के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के वें अवतार थे, हालाँकि पौराणिक ग्रंथों में गौतम बुद्ध के स्थान पर बलराम को विष्णु अवतार माना जाता है। उस हिसाब से श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के नवें अवतार हुए। इसके बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें।
  • उनका जन्म रात्रि के वें प्रहर में हुआ।
  • जब उनका जन्म हुआ तो उस लग्न पर ग्रहों (शनि को छोड़ कर अन्य नवग्रह) की शुभ दृष्टि थी। 
  • उनका जन्म रोहिणी नक्षत्र के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। 
  • वे अपने माता पिता की वीं संतान थे। उनके अन्य भाइयों के नाम थे - कीर्तिमान, सुषेण, भद्रसेन, ऋजु, सम्मर्दन, भद्र एवं संकर्षण (बलराम)। 
  • उनकी मुख्य पत्नियाँ थी - रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवंती, कालिंदी, सत्या, मित्रविन्दा, लक्ष्मणा एवं भद्रा।
  • वैसे तो उनके ८० पुत्र थे किन्तु  ज्येष्ठ पुत्र प्रमुख माने जाते हैं। ये थे - प्रद्युम्न, भानु, साम्ब, वीर, श्रुत, प्रघोष, वृक एवं संग्रामजित।
  • उनके प्रमुख नाम थे - कृष्ण, गोपाल, गोविन्द, वासुदेव, मोहन, गिरधारी, श्याम एवं हरि। 
  • उनके जीवन में नगरों का विशेष महत्त्व था - मथुरा, गोकुल, गोवर्धन, वृन्दावन, अवंतिका, हस्तिनापुर, द्वारिका एवं प्रभास क्षेत्र। 
  • उनके प्रमुख मित्र थे - उद्धव, सात्यिकी, कृतवर्मा, सुदामा, अर्जुन, दारुक, घोर अंगिरस एवं श्रीदामा। 
  • उनके प्रमुख शत्रु थे - कंस, जरासंध, पौण्ड्रक, शिशुपाल, रुक्मी, दन्तवक्र, शाल्व एवं दुर्योधन।
  • श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के वें अध्याय - 'अक्षर ब्रह्मयोग' का विशेष महत्त्व बताया।
  • महाभारत के युद्ध में कृष्ण ने मुख्यतः बार अर्जुन के प्राणों की रक्षा की थी।
  • ऐसा वर्णन है कि राधा सहित उनकी प्रमुख गोपियाँ थी।

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