- सारी सृष्टि परमपिता ब्रह्मा से आरम्भ हुई।
- ब्रह्मा के पुत्र सप्तर्षियों में एक महर्षि मरीचि हुए।
- मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप हुए जिनसे सभी प्रकार के प्राणियों का जन्म हुआ।
- कश्यप के पुत्र विवस्वान (सूर्य) हुए।
- सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु हुए जो वर्तमान मन्वन्तर के अधिपति हैं।
- उनके पुत्र महाराज इक्ष्वाकु हुए। इन्ही से इक्ष्वाकु कुल चला।
- इक्ष्वाकु के पुत्र निमि हुए। इक्ष्वाकु के ही दूसरे पुत्र कुक्षि के वंश में आगे चल कर श्रीराम का जन्म हुआ।
- निमि के पुत्र मिथि हुए जिनके नाम पर इनकी राजधानी मिथिला कहलायी।
- मिथि के पुत्र जनक (सीता के पिता नहीं) हुए।
- जनक के पुत्र उदावसु हुए।
- उदावसु से नन्दिवर्धन का जन्म हुआ।
- नन्दिवर्धन के पुत्र सुकेतु हुए।
- सुकेतु के देवरात नामक पुत्र हुए। इन्ही के पास देवराज इंद्र ने भगवान शिव का महान धनुष पिनाक छोड़ा था।
- देवरात के पुत्र बृहद्रथ हुए।
- बृहद्रथ के पुत्र महावीर हुए।
- महावीर्य के सुधृति नामक पुत्र हुए।
- सुधृति के पुत्र धृष्टकेतु थे।
- धृष्टकेतु के पुत्र हर्यश्व हुए।
- हर्यश्व के पुत्र मरू थे।
- मरू के प्रतीन्धक नामक पुत्र हुए।
- प्रतीन्धक के पुत्र कीर्तिरथ हुए।
- कीर्तिरथ के पुत्र देवमीढ़ हुए।
- देवमीढ़ के पुत्र विबुध थे।
- विबुध के पुत्र महिध्रक हुए।
- महिध्रक के पुत्र कीर्तिरात हुए।
- कीर्तिरात के महारोमा नामक पुत्र हुए।
- महारोमा के पुत्र स्वर्णरोमा थे।
- स्वर्णरोमा के पुत्र ह्रस्वरोमा हुए।
- ह्रस्वरोमा के दो पुत्र हुए - सीरध्वज जनक एवं कुशध्वज।
- जनक का विवाह सुनैना से हुआ जिनसे इन्हे दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई - सीता एवं उर्मिला जिनका विवाह श्रीराम और लक्ष्मण के साथ हुआ। जनक के छोटे भाई कुशध्वज की पुत्रियाँ माण्डवी एवं श्रुतकीर्ति क्रमशः भरत एवं शत्रुघ्न से ब्याही गयीं।
महाराज जनक का वंश
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