वैसे तो ये सम्पूर्ण सृष्टि ही परमपिता ब्रह्मा से उत्पन्न हुई है किन्तु उनमे से भी ब्राह्मणों को उनका ही दूसरा रूप माना गया है। "ब्राह्मण", ये शब्द भी स्वयं "ब्रह्मा" से उत्पन्न हुआ है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई स्थान पर ऋषि, मुनि इत्यादि का वर्णन है। आम तौर पर हम इसे एक ही समझ लेते हैं किन्तु इनमे भी भेद है। हमारे ग्रंथों में ब्राह्मणों के भी ८ प्रकार बताये गए हैं। तो आइए आज इस विषय में कुछ जानते हैं।
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उज्जैन से अन्य ज्योतिर्लिंगों की अद्भुत दूरी
द्वादश ज्योतिर्लिंग श्रृंखला में हमने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में एक लेख लिखा था। कहा गया है:
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्।
भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते॥
अर्थात: आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।
अर्थात: आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है।
रक्षा बंधन
आप सभी को रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें। रक्षाबंधन एक अति प्राचीन पर्व है जो हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व में बहनें अपने भाइयों के हाथ में रेशम के धागों का एक सूत्र बाँधती है और उसकी रक्षा की कामना करती है। बदले में भाई भी सदैव अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। ये साधारण सा बंधन भाई एवं बहन की रक्षा की कड़ी है और इसी कारण इसे रक्षा बंधन के नाम से जाना जाता है। सांस्कृतिक रूप से तो इसका बहुत महत्त्व है पर आज हम इसके धार्मिक महत्त्व को जानेंगे।
कुबेर की नौ निधियाँ
कुछ समय पहले हमने आपको पवनपुत्र हनुमान की नौ निधियों के बारे में बताया था। हनुमानजी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि का दाता कहा जाता है। जिस प्रकार हनुमान के पास नौ निधियाँ हैं, ठीक उसी प्रकार देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर के पास भी नौ निधियाँ हैं। अंतर केवल इतना है कि हनुमान अपनी नौ निधियों को किसी अन्य को प्रदान कर सकते हैं जबकि कुबेर ऐसा नहीं कर सकते।
तिरुपति बालाजी
कदाचित ही कोई ऐसा हो जिसने तिरुपति बालाजी का नाम ना सुना हो। इसे दक्षिण भारत के सब बड़े और प्रसिद्ध मंदिर के रूप में मान्यता प्राप्त है। दक्षिण भारत के अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी इस मंदिर की बहुत मान्यता है। यह एक ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान विष्णु मनुष्य रूप में विद्यमान हैं जिन्हे "वेंकटेश" कहा जाता है। इसी कारण इसे "वेंकटेश्वर बालाजी" भी कहते हैं। ये मंदिर विश्व का सबसे अमीर मंदिर है जहाँ की अनुमानित धनराशि ५०००० करोड़ से भी अधिक है। इसके पीछे का कारण बड़ा विचित्र है।
क्यों महाभारत के युद्ध को रोकना असंभव था?
कौरवों ने छल से द्युत जीतकर पांडवों को १२ वर्ष के वनवास और एक वर्ष के अज्ञातवास पर भेज दिया। पांडवों ने अपना वनवास और अज्ञातवास नियमपूर्वक पूर्ण किया। विराट के युद्ध के पश्चात स्वयं पितामह भीष्म ने कहा कि पांडवों ने सफलतापूर्वक अपना अज्ञातवास पूर्ण कर लिया था किन्तु दुर्योधन अपने हठ पर अड़ा रहा। पांडवों ने धृतराष्ट्र से विनम्रतापूर्वक अपने हिस्से का राज्य माँगा पर पुत्रमोह में पड़ कर धृतराष्ट्र अच्छे-बुरे का विवेक खो बैठे। जब हस्तिनपुर दूत बनकर गए श्रीकृष्ण स्वयं संधि करवाने में असफल रहे तब अंततः महाभारत का युद्ध निश्चित हो गया।