पिछले लेख में आपने जम्बू द्वीप के बारे में विस्तार से पढ़ा। इस लेख में हम प्लक्ष द्वीप के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे। आइये प्लक्ष द्वीप के बारे में कुछ अद्भुत तथ्य जानते हैं:
- प्लक्ष द्वीप का विस्तार जम्बू द्वीप से दूना है जो जम्बू द्वीप को चारो ओर से घेरे है और स्वयं चारो ओर से इक्षुरस (गन्ने के रस) सागर से घिरा हुआ है।
- विष्णु पुराण के अनुसार प्लक्ष द्वीप का विस्तार २००००० (दो लाख) योजन है।
- इस द्वीप में एक अतिविशाल प्लक्ष (पाकड़ या पीखला) के वृक्ष के कारण ही इस द्वीप का नाम प्लक्ष द्वीप पड़ा है। इस वृक्ष का आकर जम्बू द्वीप के जम्बू वृक्ष के समान ही है, अर्थात ११००० योजन।
- इस द्वीप में युग व्यवस्था नहीं है और यहाँ सदैव त्रेतायुग ही रहता है।
- इस द्वीप के मनुष्य सदैव निरोगी रहते हैं और उनकी आयु ५००० वर्ष बताई गयी है। यहाँ मनुष्यों सहित देवता और गन्धर्व भी वास करते हैं।
- यहाँ श्रीहरि की पूजा प्रमुख है जिन्हे इस द्वीप में सोम नाम से पूजा जाता है। इसके अतिरिक्त यहाँ ब्रह्मा की भी उपासना होती है। इस द्वीप में जो सात पर्वत हैं उनमे से वैभ्राज में ब्रह्मदेव का निवास बताया गया है।
- यहाँ के स्वामी मेघतिथि हैं जिन्होंने इस द्वीप को सात खंडों में बाँट कर अपने सातों पुत्रों में बाँट दिया। मेघतिथि के सात पुत्रों के नाम हैं - शान्तहय, शिशिर, सुखोदय, आनंद, शिव, क्षेमक एवं ध्रुव। इन्ही सातों के नाम पर इन सभी वर्षों के नाम पड़े हैं।
- विष्णु पुराण एवं भागवत के अनुसार यहाँ सात मुख्य वर्ष (खंड) हैं, हालाँकि दोनों ग्रंथों में इनके नाम अलग मिलते हैं। जहाँ विष्णु पुराण में मेघतिथि के सातों पुत्रों के नाम पर ही वर्षों का नाम है वही भागवत में नाम कुछ अलग हैं:
- विष्णु पुराण के अनुसार:
- शांतभव
- शिशिर
- सुखोदय
- आनंद
- शिव
- क्षेमक
- ध्रुव
- भागवत के अनुसार:
- शिव
- वयस
- सुभद्र
- शांत
- क्षेम
- ध्रुव
- अमृत
- उसी प्रकार विष्णु पुराण और भागवत के अनुसार इस द्वीप में सात प्रमुख पर्वत हैं, पर नाम अलग हैं:
- विष्णु पुराण के अनुसार:
- गोमेद
- चंद्र
- नारद
- दुदुंभि
- सोमक
- सुमना
- वैभ्राज
- भागवत में वर्णित:
- मणिकूट
- वज्रकूट
- इंद्रसोम
- ज्योतिष्मानू
- सुवर्ण
- हिरण्यष्ठीन
- मैघमाल
- विष्णु पुराण और भागवत में यहाँ की ७ प्रमुख नदियों का वर्णन है:
- विष्णु पुराण के अनुसार:
- अनुतप्ता
- शिखी
- विपाशा
- त्रिदिवा
- अक्लमा
- अमृता
- सुक्रता
- भागवत के अनुसार:
- अरुण
- नृमला
- आंगिरसी
- सावित्री
- सुप्रभात
- ऋतंभरा
- सत्यंभरा
- यहाँ भी समुदाय चार वर्णों में बंटा हुआ है:
- आर्यक: ब्राह्मण
- कुरर: क्षत्रिय
- विदिश्य: वैश्य
- भावी: शूद्र
आशा है आपको ये लेख पसंद आया होगा। अगले भाग में हम शाल्मल द्वीप के बारे में जानेंगे।
great work
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद।
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