चारों युगों के लक्षण

चारों युगों के लक्षण
चारों युगों के वर्णन और ब्रह्मा जी के आयु के विषय में आपने पहले ही इस लेख में पढ़ा है। आज हम चतुर्युगी व्यवस्था की प्रकृति के विषय में थोड़ा और विस्तार से जानेंगे। हर युग का अपना कुछ स्वभाव होता है जिसका प्रभाव मनुष्य से लेकर वस्तुओं, प्रत्येक चीज पर पड़ता है। आइये इसके विषय में कुछ जानते हैं।

सतयुग
  • कुल समय: ४८०० दिव्य वर्ष या १७२८००० मानव वर्ष।
  • पाप: ० भाग

मंदार पर्वत - वो स्थान जहाँ समुद्र मंथन हुआ था

विगत मकर संक्रांति को मुझे मंदार पर्वत जाने का अवसर मिला। मैं स्वयं भागलपुर (बिहार) का रहने वाला हूँ और बचपन से कई बार यहाँ जा चुका हूँ। ये वही पर्वत है जिससे प्राचीन काल में समुद्र मंथन किया गया था। ये वही मंदराचल पर्वत है जिसे समुद्र मंथन में मथनी के रूप में उपयोग में लाया गया था। इस स्थान का नाम "बौंसी" है जो "वासुकि" का अपभ्रंश है। नागराज वासुकि को ही मंदराचल पर्वत की रस्सी के रूप में उपयोग किया गया था। उन्ही के नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा जो अब अपभ्रंश होकर बौंसी हो गया है।

नटराज के पैरों के नीचे कौन दबा रहता है?

हम सभी ने भगवान शिव के नटराज रूप को कई बार देखा है। किन्तु क्या आपने ध्यान दिया है कि नटराज की प्रतिमा के पैरों के नीचे एक दानव भी दबा रहता है? आम तौर पर देखने से हमारा ध्यान उस राक्षस की ओर नहीं जाता किन्तु नटराज की मूर्ति के दाहिने पैर के नीचे आपको वो दिख जाएगा। क्या आपको पता है कि वास्तव में वो है कौन? आइये आज इस लेख में हम उस रहस्य्मयी दानव के विषय में जानते हैं।

श्रुति एवं स्मृति क्या है?

श्रुति एवं स्मृति क्या है?
हिन्दू धर्म में सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों में से एक है कि अति प्राचीन होने के बाद भी हिन्दू धर्म के धर्मग्रंथों में लिखे ज्ञान को सुरक्षित कैसे रखा गया। यदि हम आधुनिक काल गणना की भी बात करें तो महाभारत का कालखंड ७००० वर्ष एवं रामायण का कालखंड १४००० वर्ष पूर्व का बताया गया है। हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेदों को लगभग २८००० वर्ष प्राचीन बताया जाता है। अब प्रश्न ये है कि ये सारे धर्मग्रन्थ तो आज भी हमारे पास हैं। फिर इस अथाह ज्ञान को इतने लम्बे समय तक किस प्रकार संचित किया गया? आइये इसे समझते हैं।