महारथी कर्ण के विषय में तो हम सभी जानते हैं। महाभारत में कदाचित सबसे संघर्षपूर्ण जीवन उन्ही का रहा है। स्वयं भगवान सूर्य नारायण के पुत्र होते हुए भी उन्हें सदैव सूतपुत्र की भांति जीना पड़ा। जहाँ एक ओर उनकी माता कुंती के पांचों पुत्र सम्मान और सुविधा के साथ जी रहे थे, कर्ण, कुंती के ज्येष्ठ पुत्र होते हुए भी उपेक्षित ही रहे। बचपन में कुंती द्वारा त्यागे जाने के बाद धृतराष्ट्र के सारथि अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने उन्हें गोद ले लिया और वे "राधेय" के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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महावीर हनुमान को "बजरंग" क्यों कहते हैं?
"बजरंग बली की जय" - ये जयकारा आपको किसी भी हनुमान मंदिर में सबसे अधिक सुनने को मिल जाता है। जितना प्रसिद्ध उनका "हनुमान" नाम है, उतना ही प्रसिद्ध उनका एक नाम बजरंग बली भी है। उनके नाम "हनुमान का इतिहास तो हम जानते हैं, किन्तु क्या आप ये जानते हैं कि उन्हें "बजरंग" क्यों बुलाते हैं? मजेदार बात ये है कि आज शब्द "बजरंग", जो हमारी संस्कृति में घुल मिल गया है, वास्तव में मूल संस्कृत शब्द का अपभ्रंश है।
क्या श्रीराम का पिनाक को भंग करना उचित था?
माता सीता के स्वयंवर के विषय में हम सभी जानते हैं। इसी स्वयंवर में श्रीराम ने उस पिनाक को सहज ही उठा कर तोड़ डाला जिसे वहाँ उपस्थित समस्त योद्धा मिल कर हिला भी ना सके। हालाँकि कई लोग ये पूछते हैं कि श्रीराम ने धनुष उठा कर स्वयंवर की शर्त तो पूरी कर ही दी थी, फिर उस धनुष को भंग करने की क्या आवश्यकता थी?