हिन्दू धर्म में दान का बहुत अधिक महत्त्व बताया गया है। जब भी हम दानवीरता की बात करते हैं तो हमारे मष्तिष्क में सहसा अंगराज कर्ण की तस्वीर बनती है। वे निःसंदेह दानवीर थे किन्तु हमारा हिन्दू धर्म तो दानवीरों से भरा पड़ा है। वैसे तो इतिहास में एक से बढ़ कर एक दानवीर हुए हैं किंतु कुछ दानवीर ऐसे हैं जिन्होंने दान की हर सीमा को पार कर दिया इसीलिए इनकी श्रेणी अन्य दानवीरों की अपेक्षा अलग ही बन गयी। आइये ऐसे ही कुछ दानवीरों के विषय में जानते हैं:
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महाभारत के योद्धाओं की आयु कितनी थी?
कौरवों और पांडवों की आयु के विषय मे बहुत संशय है। इसका कारण ये है कि मूल व्यास महाभारत में पांडवों या कौरवों की आयु का कोई सटीक विवरण नही दिया गया है। यदि अन्य ग्रंथों की बात की जाए तो भी उनमें दी गयी जानकारियों में बहुत असमानता दिखती है। कही कहा गया है कि युद्ध के समय युधिष्ठिर ९१ वर्ष के थे, कही ये आयु ४९ वर्ष की बताई गई है तो कहीं कुछ और। कहने का अर्थ ये है कि कोई भी सटीक रूप से इनकी आयु के बारे में नहीं बता सकता। यदि कोई ये कहता है कि उसे पांडवों अथवा कौरवों की सटीक आयु के विषय में पता है तो वो निश्चय ही असत्य कह रहा है।
ऐसे कौन से पात्र हैं जो रामायण और महाभारत दोनों में पाए जाते हैं?
रामायण और महाभारत के बीच का कालखंड कितना कितना बड़ा है ये हम सभी जानते हैं। रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर युग में हुआ बताया जाता है। पुराणों के अनुसार त्रेतायुग ३६०० दिव्य वर्षों एवं द्वापर युग २४०० दिव्य वर्षों का होता है। पौराणिक काल गणना के अनुसार चतुर्युगी व्यवस्था बनाई गयी है। किन्तु कई पौराणिक चरित्र ऐसे हैं जिन्होंने बहुत लम्बी आयु प्राप्त की और रामायण और महाभारत, दोनों काल में उपस्थित रहे। आज हम ऐसे ही कुछ महापुरुषों के विषय में जानेंगे।