कौरवों और पांडवों की आयु के विषय मे बहुत संशय है। इसका कारण ये है कि मूल व्यास महाभारत में पांडवों या कौरवों की आयु का कोई सटीक विवरण नही दिया गया है। यदि अन्य ग्रंथों की बात की जाए तो भी उनमें दी गयी जानकारियों में बहुत असमानता दिखती है। कही कहा गया है कि युद्ध के समय युधिष्ठिर ९१ वर्ष के थे, कही ये आयु ४९ वर्ष की बताई गई है तो कहीं कुछ और। कहने का अर्थ ये है कि कोई भी सटीक रूप से इनकी आयु के बारे में नहीं बता सकता। यदि कोई ये कहता है कि उसे पांडवों अथवा कौरवों की सटीक आयु के विषय में पता है तो वो निश्चय ही असत्य कह रहा है।
तो फिर मैं ये लेख क्यों लिख रहा हूँ? वास्तव में मैं जो यहाँ बताने वाला हूँ उसके विषय मे भी मैं निश्चित नही हूँ, किन्तु जिस संदर्भ की बात मैं करने वाला हूँ वो सबसे सटीक मानी जाती है। मैं अपने लेख सदैव प्रामाणिक रखने का प्रयास करता हूँ, किन्तु चूंकि ये प्रश्न ही अप्रामाणिक है इसीलिए मैं प्रारम्भ में ही ये स्वीकार करना चाहता हूँ कि मैं निश्चित नही हूँ कि मेरा ये उत्तर पूर्णतः प्रामाणिक है। इसे मैं अपना एक अनुमान कहना अधिक उचित समझूंगा। भगवान परशुराम और महावीर हनुमान को मैं इस लिए सम्मलित नहीं कर रहा क्यूंकि वे तो एक अलग युग के ही व्यक्ति हैं। तो चलिए आरम्भ करते हैं।
जैसा कि मैंने बताया कि महाभारत में पांडवों की आयु का कोई वर्णन नही है किंतु हरिवंश पुराण में केवल एक स्थान पर ऐसा वर्णन है कि महाभारत युद्ध के समय श्रीकृष्ण ७२ वर्ष के थे। इस एक तथ्य के आधार पर अन्य योद्धाओं की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। महाभारत में ऐसा वर्णन है कि श्रीकृष्ण एवं अर्जुन समान आयु के थे। अर्थात अर्जुन की आयु भी युद्ध के समय ७२ वर्षों की ही रही होगी।
बलराम श्रीकृष्ण से १ वर्ष बड़े थे तो उनकी आयु ७३ वर्षों की होगी। सुभद्रा श्रीकृष्ण से २२ वर्ष छोटी थी इसी कारण युद्ध के समय उनकी आयु ५० वर्ष के आस पास रही होगी। श्रीकृष्ण के भाई और सखा उद्धव भी उनकी ही आयु के थे, तो युद्ध के समय उनकी आयु भी लगभग ७२ वर्ष के आस पास होगी। उनके मित्र सात्यिकी और कृतवर्मा श्रीकृष्ण से आयु में कुछ बड़े ही होंगे। इस आधार पर युद्ध के समय उनकी आयु हम ७४-७५ वर्ष के आस पास मान सकते हैं।
महाभारत में ऐसा भी वर्णन है कि सभी पांडवों की आयु के मध्य १-१ वर्ष का अंतर था। हालांकि कई जगह नकुल और सहदेव को यमज (जुड़वा) बताया गया है किंतु ये निश्चित है कि नकुल सहदेव से बड़े थे। तो यदि १-१ वर्ष की आयु का अंतराल भी मानें तो उस हिसाब से महाभारत युद्ध के समय युधिष्ठिर ७४, भीम ७३, नकुल ७१ एवं सहदेव ७० वर्ष के रहे होंगे।
महाभारत के अनुसार कर्ण के जन्म के लगभग तुरंत बाद ही कुंती का स्वयंवर हुआ था जहाँ उन्होंने महाराज पाण्डु का वरण किया। इस अनुसार कर्ण की आयु युधिष्ठिर बहुत अधिक नहीं रही होगी। यदि २-३ वर्ष का अंतर मानें तो उनकी आयु युद्ध के समय लगभग ७७ वर्ष के आस पास रही होगी। कुंती स्वयं कर्ण से १५-१६ वर्ष ही बड़ी होंगी। अर्थात युद्ध के समय उनकी आयु ९३ के आस-पास होगी। गांधारी उनसे १-२ वर्ष बड़ी होंगी, अर्थात लगभग ९५ वर्ष के आस पास।
ये मेरा अपना विचार है किन्तु मुझे लगता है कि द्रौपदी एवं पांडवों की आयु में बहुत अंतर नहीं रहा होगा। वे आयु में सहदेव के समान अथवा उनसे कुछ वर्ष ही छोटी होंगी। इस आधार पर हम ये मान सकते हैं कि महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी के आयु लगभग ७० वर्ष के आस-पास रही होगी। इस अनुसार धृष्टधुम्न की आयु भी युद्ध के समय लगभग ७०-७१ वर्ष की ही रही होगी।
महाभारत के अनुसार जिस दिन भीम का जन्म हुआ उसी दिन दुर्योधन भी जन्मे थे, उस हिसाब से दुर्योधन की आयु भी युद्ध के समय ७३ वर्ष की रही होगी। दुर्योधन और उनके ९९ भाइयों की आयु के बीच में बहुत कम अंतर था किंतु इसके विषय मे महाभारत में कोई सटीक वर्णन नही मिलता इसीलिए अपनी ओर से कुछ कहना कठिन है। अश्वत्थामा की आयु पांडवों एवं कौरवों से कुछ अधिक थी। तो उनकी आयु हम कर्ण की आयु के समान ही मान सकते हैं।
कुछ ग्रंथों में ये भी वर्णन मिलता है कि युद्ध के समय पितामह भीष्म १६९ वर्ष के थे। ये भी कई स्थानों पर वर्णित है कि भीष्म की विमाता सत्यवती उनसे कुछ छोटी ही थी। तो महाभारत के कालखंड के अनुसार हम ये मान सकते हैं कि महर्षि वेदव्यास की आयु उनसे लगभग २० वर्ष वर्ष कम होगी। अर्थात युद्ध के समय महर्षि व्यास १५० वर्षों के आस-पास रहे होंगे।
कृपाचार्य और उनकी बहन कृपी को पितामह भीष्म के पिता शांतनु ने वृद्धावस्था में पाला था। तो उनकी आयु भी भीष्म से कम से कम ५०-६० वर्ष अवश्य कम होनी चाहिए, अर्थात लगभग ११० वर्ष के आस पास। द्रोणाचार्य, पांचाल नरेश द्रुपद एवं मत्स्यराज विराट एवं धृतराष्ट्र भी लगभग उतनी ही आयु के होंगे। विदुर धृतराष्ट्र से केवल १-२ वर्ष ही छोटे होंगे। संजय की आयु उनसे काफी कम होगी। वे धृतराष्ट्र से कम से कम १०-१५ वर्ष तो अवश्य छोटे होंगे।
पितामह भीष्म निश्चय ही वयोवृद्ध थे किंतु सबसे वृद्ध नही। उस युद्ध मे उनके चाचा बाह्लीक ने भी भाग लिया था। बाह्लीक भीष्म के पिता शांतनु के बड़े भाई थे। उन दोनों के एक और बड़े भाई थे देवापि किन्तु उनका अधिक वर्णन हमें नही मिलता। यदि बाह्लीक की आयु भीष्म से ३० वर्ष भी अधिक मानी जाये तो भी युद्ध के समय बाह्लीक की आयु लगभग २०० वर्ष के आस-पास होगी।
उप-पांडवों एवं अभिमन्यु का जन्म पांडवों के वनवास से पहले हो चुका था। ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन के पुत्र श्रुतकर्मा को छोड़ कर द्रौपदी के अन्य चारों पुत्रों में भी पांडवों के समान ही १-१ वर्ष का अंतर था। प्रण भंग करने के बाद अर्जुन के वनवास के कारण श्रुतकर्मा का जन्म सबसे अंत में हुआ। युद्ध के समय अभिमन्यु की आयु १६ वर्ष से अधिक की नहीं होगी। उसी अनुपात में उसके आस-पास ही अन्य पांडवों के अन्य पुत्रों की आयु भी होगी।
पांडवों के अतिरिक्त लगभग सभी की मृत्यु उस युद्ध मे हो गयी। महाभारत में वर्णित है कि युधिष्ठिर ने युद्ध के बाद ३६ वर्षों तक राज्य किया। अर्थात स्वर्गारोहण के समय उनकी आयु ११० वर्ष, भीम की १०९ वर्ष, अर्जुन की १०८ वर्ष, नकुल की १०७ वर्ष एवं सहदेव की १०६ वर्षों की होगी। श्रीकृष्ण ने भी १०८ वर्ष की आयु में निर्वाण लिया एवं बलराम ने १०९ वर्ष की आयु में।
भगवान परशुराम, महाबली हनुमान, महर्षि व्यास, कुलगुरु कृपाचार्य एवं अश्वथामा तो चिरंजीवी हैं, सो वे आज भी जीवित होंगे और कल्प के अंत तक जीवित रहेंगे।
मैं एक बार पुनः विनम्रता से ये कहना चाहूँगा कि इस लेख को मैं पूर्णतः प्रामाणिक नहीं कह सकता किन्तु आशा करता हूँ कि आपको ये प्रयास पसंद आया होगा। जय श्रीकृष्ण।
उत्तम शोध
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर।
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