आप सबों को गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनायें। कुछ दिनों पहले मैंने "गंगा सप्तमी" पर एक लेख लिखा था। कई लोग इन दो पर्वों को एक ही समझ लेते हैं किन्तु ये सही नहीं है। गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के दिन महादेव ने देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था किन्तु आज, गंगा दशहरा के दिन देवी गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे पृथ्वी पर पहुँची थी। अर्थात आज का दिन देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतार लेने का दिन है। अतः ये दो पर्व भी अलग है और इनका महत्त्व भी।
- आज के दिन ही माँ गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे धरती पर पहुँची थी।
- आज के दिन दान का बड़ा महत्त्व है। आज के दिन दिए गए दान का पुण्य अन्य दिन से सहस्त्र गुणा अधिक मिलता है।
- भविष्य पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी को दशहरा कहा जाता है। कहते हैं इस दिन गंगा स्नान करने पर आपके दस प्रकार के पापों का अंत हो जाता है है, इसीलिए इस गंगा दशहरा कहते हैं। मनुष्य तीन प्रकार से पाप करता है - कायिक (शरीर से), मानसिक (मन से) एवं वाचिक (वाणी से)। ३ प्रकार के कायिक पाप, ४ प्रकार के मानसिक पाप और ३ प्रकार के ही वाचिक पाप होते हैं। इस प्रकार कुल १० प्रकार के पाप होते हैं जिन सब से मुक्ति आज के दिन गंगा स्नान से मिल जाती है।
- इस वर्ष मलमास (अधिकमास) भी चल रहा है जो ३ वर्षों में एक बार आता है। इसी कारण इस वर्ष गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्त्व है।
- ।।ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा।। - आज के दिन गंगा में खड़े होकर देवी गंगा के इस स्त्रोत्र को पढ़ने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, ऐसा वराह पुराण में कहा गया है। इसका अर्थ है - हे भगवति गंगे! मुझे बार-बार मिल, पवित्र कर, पवित्र कर, इससे गंगाजी के लिए पंचोपचार और पुष्पांजलि समर्पण करें।
- आज कुम्भ स्थान - हरिद्वार, इलाहबाद, नासिक और उज्जैन में गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है।
- गंगा का स्थान भगवान विष्णु के चरणों में माना जाता है इसी कारण आज के दिन नारायण की पूजा भी की जाती है और आज के दिन सत्यनारायण की कथा का फल अन्य दिनों से सौ गुणा अधिक मिलता है।
- इस दिन व्रत रखने का विधान है। कई लोग निर्जल व्रत भी रखते हैं तथा इस दिन जल-दान का भी बड़ा महत्त्व है।
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