आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। हर वर्ष दीपावली हमारे जीवन में हर्षोल्लास लेकर आती है, आशा है इस वर्ष भी ऐसा ही हो। वैसे तो ना केवल भारत में, बल्कि अनेक देशों में भी दिवाली का सांस्कृतिक महत्त्व बहुत अधिक है किन्तु आज हम इस पर्व के धार्मिक महत्त्व को जानेंगे। आइये उन कुछ विशेष कारणों को देखते हैं जिनके कारण दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
- दीपावली वास्तव में पाँच दिनों का पर्व है। ये पर्व कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी से धनतेरस के रूप में आरम्भ होता है। अगले दिन नरक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। उसके अगले दिन अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और अंतिम दिन चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज के साथ पाँच दिनों वाला ये पर्व समाप्त होता है।
- इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था। इसी कारण दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा का विधान है।
- उड़ीसा एवं बंगाल में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माँ काली भी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी। इसलिए यहाँ इस दिन काली माँ की पूजा की जाती है।
- ऐसा वर्णित है कि रक्तबीज और राक्षसों का वध करने के बाद भी जब माँ काली का क्रोध कम नहीं हुआ तो उन्हें शांत करने के लिए स्वयं महादेव उनके पैरों के नीचे लेट गए। तभी से दीपावली और उसके अगले दिन काली पूजा की प्रथा आरम्भ हुई।
- ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही माता लक्ष्मी ने श्रीगणेश को गोद लिया था। एक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने माँ लक्ष्मी से कहा कि स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक वो माँ नहीं बनती। उनकी कोई संतान नहीं थी इसी कारण वे दुखी हो माता पार्वती के पास पहुँची। तब उनका दुःख दूर करने हेतु माता पार्वती ने उन्हें गणेश जी को गोद लेने का सुझाव दिया। इस पर माँ लक्ष्मी ने प्रसन्नता पूर्वक श्रीगणेश को अपना पुत्र माना और इसीलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा एक साथ की जाती है।
- आज के दिन ही भगवान वामन ने दैत्यराज बलि को पाताल लोक का सम्राट बनाया था। बलि के पाताल चले जाने के बाद देवराज इंद्र और अन्य देवताओं ने स्वर्ग को सुरक्षित जान कर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी।
- श्रीहरि के चौथे अवतार भगवान नृसिंह ने आज के दिन ही हिरण्यकशिपु का वध किया था।
- दीपावली के पीछे जो मान्यता सर्वाधिक प्रचलित है वो ये कि आज के दिन ही श्रीराम अपने १४ वर्ष के वनवास को पूर्ण कर अयोध्या वापस लौटे थे। उनके वापस आने के उपलक्ष्य में सभी अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
- दीपावली से एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी कारण उस दिन को नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है। नरकासुर के मारे जाने पर प्रसन्न होकर प्रजाजनों ने अगले दिन दीप जलाकर उत्सव किया था।
- दीपावली से २ दिन पहले समुद्र मंथन से देव धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले। उसी उपलक्ष्य में धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
- दीपावली के दो दिन बाद तीन बड़े पर्व एक ही दिन मनाये जाते हैं।
- चित्रगुप्त पूजा, क्यूंकि भगवान चित्रगुप्त इसी दिन अवतरित हुए थे।
- भाई दूज, क्यूंकि यमराज इसी दिन अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे।
- गोवर्धन पूजा, क्यूंकि इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोकुल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा आरम्भ की थी। आज के दिन ही उन्होंने गोवर्धन को अपनी अंगुली पर उठा लिया था।
- ऐसी मान्यता है कि इसी दिन यमराज ने नचिकेता को ब्रह्मज्ञान दिया था। "तमसो मा ज्योतिर्गमय", अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ो, उसी ज्ञान का संकेत है।
- ऐसी मान्यता हैं कि इसी दिन पांडवों का १२ वर्ष का वनवास और १ वर्ष का अज्ञातवास समाप्त हुआ था। अर्थात आज के दिन ही अर्जुन ने विराट युद्ध में कौरवों को परास्त किया था।
- ये दिन जैन धर्म में भी अत्यंत शुभ है। इसी दिन भगवान महावीर ने निर्वाण लिया था। दीपावली से दो दिन पहले, अर्थात धनतेरस के दिन महावीर ध्यान में चले गए और दो दिन बाद दीपावली के दिन उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया।
- आज के दिन ही भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- लगभग २५०० वर्ष पहले दीपावली के दिन ही गौतम बुद्ध के अनुनायियों ने असंख्य दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
- आज के दिन ही महाराज विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था।
- आज दीपावली के दिन ही महाराज विक्रमादित्य ने "विक्रम संवत" की स्थापना करने हेतु देश भर से ज्योतिषाचार्यों को बुला कर मुहूर्त निकलवाया था।
- दीपावली सिक्खों के लिए भी बहुत पवित्र है। सन १५७७ में आज दीपावली के दिन ही अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। इस दिन पूरे मंदिर में दीप जलाये गए थे। आज भी दीपावली के दिन स्वर्ण मंदिर को दीपों से जगमगा दिया जाता है।
- दीपावली के दिन ही सिक्खों के छठे गुरु श्री हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था। सिख इसे "बंदीछोड़ दिवस" के रूप में मनाते हैं।
- आज के दिन ही आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने निर्वाण लिया था।
- नेपाल में दीपावली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। आज के दिन से ही नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है।
- भारत के कुछ हिस्सों में दीपावली के दिन से ही हिन्दू नववर्ष का आरम्भ माना जाता है। हालाँकि अधिकतर स्थानों पर हिन्दू नववर्ष मकर संक्रांति से आरम्भ होता है।
- पंजाब के प्रसिद्ध संत स्वामी रामतीर्थ का जन्म एवं प्रयत्न दीपावली के दिन ही हुआ था।
- दीपावली को फसलों का त्यौहार भी कहते हैं। खरीफ फसल के समय ही दीपावली आती है। किसानों के लिए ये त्यौहार समृद्धि का प्रतीक है और इसे किसान बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
- दीपावली व्यापारियों के लिए विशेष रूप से शुभ है। इसी दिन हिंदू व्यवसायी का नया वर्ष प्रारम्भ हो जाता है। सभी व्यवसायी इसी दिन से अपने खातों की नई किताबें शुरू करते हैं और नवीन वर्ष को आरम्भ करने से पहले अपने सभी ऋणों का भुगतान करते हैं।
- स्कन्द पुराण के अनुसार जब ब्रह्मदेव ने सूर्य की उत्पत्ति की तब सारा जगत प्रकाश से भर गया। किन्तु जब सूर्य के अस्त होने की बारी आयी तो सभी चिंता में पड़ गए कि अब प्रकाश कैसे होगा। तब रात्रि में प्रकाश उत्पन्न करने का दायित्व दीपक ने लिया। तब जाकर भगवान सूर्य नारायण अस्त हुए। इसी कारण दीपक को सूर्यांश संभवो दीप:, अर्थात सूर्य का अंश कहा गया है। यही नहीं, दीपक को "ब्रह्म स्वरूप" भी कहा गया है।
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि इस दीपावली माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे एवं आप सुख एवं समृद्धि प्राप्त करें। जय माँ लक्ष्मी। जय श्रीगणेश।
Excellent information
जवाब देंहटाएं