पुराणों में विभिन्न देवताओं के अनेक अस्त्र-शस्त्र का वर्णन दिया गया है। किन्तु जब भी बात दिव्यास्त्रों की आती है तो उसमें सुदर्शन चक्र का वर्णन प्रमुखता से किया जाता है। ये मूल रूप से भगवान विष्णु का अस्त्र है। उनके अतिरिक्त दशावतारों में भी कइयों ने इसे धारण किया, किन्तु उनमें से भी विशेष रूप से ये श्रीकृष्ण के साथ जुड़ा है।
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प्रमुख हिंदू धर्म ग्रंथों की सूची
कुछ समय पूर्व हमनें श्रुति एवं स्मृति के रूप में हमारे धार्मिक ग्रंथों के विभाजन के बारे में एक लेख लिखा था। आज हम उसे एक स्तर आगे ले जाने वाले हैं। सनातन हिंदू धर्म सृष्टि के आदि से प्रचलित भूमंडल में विख्यात धर्म है। इसके आधारभूत शास्त्रों को जानना आवश्यक है। इस लेख में संक्षेप मे इस पर कुछ निरूपण किया गया है।
अवतार कितने प्रकार के होते हैं?
हम सभी ईश्वर के अवतारों के विषय में जानते हैं। ईश्वर के अवतार और विस्तार के विषय में एक लेख हमने पहले ही प्रकाशित कर दिया है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं। अवतार के विषय में कहा गया है - अवतरति इति अवतारः। अर्थात जो अवतरण करे, अर्थ है कि जो ऊपर (दिव्य लोक) से नीचे (पृथ्वी लोक) पर आये, वही अवतार है। पुराणों में अवतारों के प्रकारों के विषय में भी विस्तृत वर्णन दिया गया है।
प्राणी मनुष्य के रूप में क्यों जन्म लेता है?
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में कुल चौरासी लाख योनियों का वर्णन है। अर्थात किसी प्राणी की आत्मा इन में से किसी भी योनि में जन्म ले सकती है। वो किस योनि में जन्म लेगी और किसमें नहीं, ये उस प्राणी के पूर्व जन्में में किये गए कर्मों के आधार पर निश्चित होता है। इन सभी योनियों में मनुष्य योनि सर्वोत्तम मानी गयी है। तो आइये जानते हैं कि हम मनुष्य योनि में कब और क्यों जन्म लेते हैं।