श्रीकृष्ण और श्री राधा दोनों ही भारत की संस्कृति में इस तरह रचे बसे हैं कि इन दोनों को अलग-अलग करके देखना एक प्रकार से असंभव है। किन्तु बहुत लोगों को ये जान कर हैरानी होगी कि राधा का वर्णन मूल व्यास महाभारत में है ही नहीं।
तो क्या राधा जी का चरित्र काल्पनिक है? नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। हाँ ये सत्य है कि उनका वर्णन मूल महाभारत में नहीं है किन्तु उनका चरित्र काल्पनिक नहीं है। आज बहुत सारे लोग श्रीकृष्ण के केवल उसी स्वरुप को जानते हैं जो महाभारत में लिखा हुआ है। अब चूंकि महर्षि व्यास ने श्रीकृष्ण और राधा जी का प्रसंग महाभारत में समाहित नहीं किया है इसी कारण लोगों को ऐसा भ्रम हो जाता है।
तो फिर इन दोनों की इतनी कथाएं जो प्रचलित हैं वो कहाँ हैं? वो वास्तव में पुराणों में वर्णित हैं। राधा जी का सबसे विस्तृत वर्णन १८००० श्लोकों वाले श्री देवी भागवत पुराण में दिया गया है। इस पुराण में श्रीकृष्ण की लीलाओं का भी वर्णन है और उनके साथ राधा के जीवन का पूर्ण प्रसंग भी हमें इसी ग्रन्थ में प्राप्त होता है।
श्री देवी भागवत पुराण के अतिरिक्त भी राधा जी का वर्णन हमें ब्रह्मवैवर्त्य पुराण, पद्म पुराण, गीता गोविन्द, गोपाल तपणी उपनिषद, शिव पुराण, स्कन्द पुराण और नारदीय पुराण में मिलता है। किन्तु यदि हम राधा जी के सबसे सटीक और प्रामाणिक जानकारी की बात करें तो हमें देवी भागवत पुराण ही पढ़ना चाहिए।
अब यहाँ पर एक प्रश्न आता है कि महाभारत की भांति ही सारे महापुराण भी तो महर्षि वेदव्यास ने ही लिखे हैं, फिर उन्होंने राधा जी का वर्णन महाभारत में क्यों नहीं किया? इसका उत्तर ये है कि महाभारत संसार के समस्त ज्ञान का एक निचोड़ है। इसीलिए कहा जाता है कि जो महाभारत में नहीं मिलता वो कही नहीं मिलता। किन्तु महाभारत में जो कुछ भी है उसके बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए ही महर्षि वेदव्यास ने पुराणों की रचना की।
मतलब महाभारत में जो संक्षेप में है या नहीं है, उसके विस्तृत वर्णन के लिए महापुराण हैं। और जो कुछ भी महापुराणों के लिए भी कम पड़ गया उसे व्यास और अन्य महर्षियों ने उप-पुराणों में समाहित किया है। प्रत्येक चीज का ऐसा विस्तृत वर्णन आपको संसार में हिन्दू धर्म के अतिरिक्त और कहीं नहीं मिलेगा। इसीलिए इसे समझने के लिए हमें पुराणों का मूल प्रयोजन समझने की आवश्यकता है।
जय श्री राधा कृष्ण।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया टिपण्णी में कोई स्पैम लिंक ना डालें एवं भाषा की मर्यादा बनाये रखें।