हम सभी भगवान शंकर के परिवार के विषय में जानते हैं। महादेव इस परिवार के प्रमुख हैं। उनकी पत्नी माता पार्वती हैं। इन दोनों की एक पुत्री और दो पुत्र हैं। हालाँकि कई और लोगों को महादेव के पुत्र एवं पुत्री होने का गौरव प्राप्त है किन्तु मुख्य रूप से उनकी तीन संताने ही है - पुत्री अशोकसुन्दरी एवं पुत्र कार्तिकेय एवं गणेश। भगवान शंकर के अन्य पुत्र-पुत्रियों के बारे में विस्तार से इस लेख में पढ़ें।
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ऋषि, मुनि, साधु, संन्यासी, तपस्वी, योगी, संत और महात्मा में क्या अंतर है?
हिन्दू धर्म में ऋषि-मुनियों का क्या महत्त्व रहा है वो बताने की आवश्यकता नहीं है। शास्त्रों में इन्हे समाज का मार्गदर्शन करने वाला कहा गया है। अपने ज्ञान और साधना से ये सदैव समाज का कल्याण करते आये हैं। आम तौर पर हम इन्हे एक दूसरे के पर्यायवाची मानते हैं, किन्तु इनमे भी अंतर होता है। आइये इनके विषय में जानते हैं।
नवनाथ - नाथ संप्रदाय के नौ सर्वोच्च सिद्ध
हिन्दू धर्म में नाथ संप्रदाय का बड़ा महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि ये संप्रदाय स्वयं भगवान शंकर के भैरव रूप से आरम्भ हुआ और इसके पहले गुरु श्रीहरि के अवतार भगवान दत्तात्रेय हुए। इसी कारण नाथ संप्रदाय में महादेव अथवा भैरव को "आदिनाथ" एवं दत्तात्रेय को "आदिगुरु" कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि सभी नौ सिद्धों का जन्म परमपिता ब्रह्मा के वीर्य से ही हुआ था।