कुछ समय पहले हमने महर्षि कश्यप द्वारा समस्त जातियों के वर्णन के बारे में एक वीडियो प्रकाशित क्या था। उसमें हमें ज्ञात हुआ कि महर्षि कश्यप ने प्रजापति दक्ष की १३ (कहीं-कहीं १७) कन्याओं से विवाह किया जिससे समस्त जातियों की उत्पत्ति हुई। रामायण में भी हमें सभी प्रजापतियों और जातियों की उत्पत्ति के बारे में विस्तृत सन्दर्भ मिलता है, हालाँकि वहां वर्णन पुराणों से थोड़ा अलग है।
वाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड के चौदहवें सर्ग में श्रीराम और जटायु की भेंट का सन्दर्भ है जहाँ जटायु श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता को सभी प्रजापतियों के बारे में और फिर महर्षि कश्यप द्वारा अन्य जातियों की उत्पत्ति के विषय में बताते हैं। आज इस लेख में हम उसी वंश वर्णन के विषय में बात करेंगे।
जटायु के अनुसार कुल १७ प्रजापति हुए। क्रमानुसार वे हैं - कर्दम, विकृत, शेष, संश्रय, बहुपुत्र, स्थाणु, मरीचि, अत्रि, क्रतु, पुलस्त्य, अङ्गिरा, प्रचेता, पुलह, दक्ष, विवस्वान, अरिष्टनेमि एवं कश्यप। कर्दम प्रथम और कश्यप अंतिम प्रजापति थे।
रामायण के अनुसार भी प्रजापति दक्ष की ६० कन्याएं थे किन्तु यहाँ १३ नहीं बल्कि ८ कन्याओं का विवाह महर्षि कश्यप से होना बताया गया है। इसका कारण ये है कि जटायु ने जिन वंशों का वर्णन किया उनमें इन्ही ८ कन्याओं की आवश्यकता थी, इसी कारण कदाचित उन्होंने महर्षि कश्यप की अन्य पत्नियों का वर्णन नहीं किया। प्रजापति दक्ष की वे आठ कन्याएं थी - अदिति, दिति, दनु, कालका, ताम्रा, क्रोधवशा, मनु एवं अनला।
तब कश्यप ने अपनी आठों पत्नियों से कहा कि वे सभी महान जातियों की उत्पत्ति करने वाली हैं। उनकी इस बात को केवल उनकी चार पत्नियों - अदिति, दिति, दनु एवं कालका ने गंभीरता से लिया। शेष चार पत्नियों के मन में वैसा भाव नहीं आया।
- अदिति के गर्भ से ३३ देवताओं ने जन्म लिया। इन्हे ही हम ३३ कोटि देवता कहते हैं और अधिकतर लोग इसे भूल से ३३ करोड़ देवता मान लेते हैं। अदिति के पुत्र थे - १२ आदित्य, ८ वसु, ११ रूद्र एवं २ अश्विनीकुमार।
- दिति ने दैत्य नाम से कई पुत्रों को जन्म दिया। कहा गया है कि पूर्वकाल में समस्त पृथ्वी और समुद्र इन्ही दैत्यों के अधिकार में थी।
- दनु ने अश्वग्रीव नामक पुत्र को जन्म दिया।
- कालका ने नरक एवं कालक नामक पुत्रों को जन्म दिया।
- ताम्रा से क्रौंची, भासी, श्येनी, धृतराष्ट्री तथा शुकी, इन पांच कन्याओं का जन्म हुआ।
- क्रौंची से उल्लुओं का जन्म हुआ।
- भासी से भास पक्षियों का जन्म हुआ।
- श्येनी से श्येन (बाज) और गिद्ध का जन्म हुआ।
- धृतराष्ट्री से हंसों और चक्रवाक नामक पक्षियों को जन्म दिया।
- शुकी ने नता नाम की एक कन्या को जन्म दिया।
- नता से विनता नाम की एक पुत्री का जन्म हुआ।
- विनता के दो पुत्र हुए - अरुण एवं गरुड़।
- अरुण के दो पुत्र हुए - सम्पाती एवं जटायु। इन दोनों की माता श्येनी थी। ताम्रा की तीसरी पुत्री श्येनी के कुल में आगे चल कर जन्म लेने के कारण दोनों की माता का नाम भी श्येनी पड़ा।
- क्रोधवशा ने १० कन्याओं को जन्म दिया - मृगी, मृगमंदा, हरी, भद्रमदा, मातङ्गी, शार्दूली, श्वेता, सुरभि, सुरसा एवं कद्रु।
- मृगी से मृग जाति की उत्पत्ति हुई।
- मृगमंदा से ऋक्ष (रीछ), सृमर (काली पूंछ वाली चवरी गाय) एवं चमर (श्वेत पूंछ वाली चवरी गाय) जातियों की उत्पत्ति हुई।
- हरी से सिंह, वानर एवं गोलांगूल (लंगूर) जाति की उत्पत्ति हुई।
- भद्रमदा ने इरावती नामक कन्या को जन्म दिया।
- इन्ही इरावती के पुत्र हुए ऐरावत जो देवराज इंद्र के वाहन बनें।
- मातङ्गी से मतङ्ग (हाथी) जाति की उत्पत्ति हुई।
- शार्दूली ने व्याघ्र (बाघ) जाति को उत्पन्न किया।
- श्वेता से दिग्गज (ऐरावत के सहायक गजराज) जन्मे।
- सुरभि से रोहिणी एवं गंधर्वी ने जन्म लिया।
- रोहिणी से गौ (गाय) जाति की उत्पत्ति हुई।
- गंधर्वी से अश्वों (घोड़ों) की उत्पत्ति हुई।
- सुरसा से नागों की उत्पत्ति हुई।
- कद्रु से पन्नगों (सर्प) की उत्पत्ति हुई। इन्ही कुद्रू से १००० नागों का भी जन्म हुआ जिनमें शेषनाग ज्येष्ठ थे। इन १००० नाग कुलों में से ८ नाग कुल परम प्रतापी माने गए।
- महर्षि कश्यप की पत्नी मनु से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र वर्णों वाले मनुष्यों ने जन्म लिया। मुख से ब्राह्मण, ह्रदय से क्षत्रिय, उरु (जंघा) से वैश्य एवं पाद (पैरों) से शूद्र जन्में।
- अनला से सभी फल वाले वृक्षों की उत्पत्ति हुई।
तो इस प्रकार यदि आप देखें तो यहाँ आपको महर्षि कश्यप का वंश वर्णन थोड़ा अलग दिखता है जैसे पुराणों में विनता और कुद्रू को दक्षपुत्री एवं महर्षि कश्यप की ही पत्नियां बताया गया है। किन्तु फिर भी इतना विस्तृत वर्णन कहीं और मिल पाना कठिन है।
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