ये तो हम सभी जानते हैं कि रामायण में श्रीराम के राज्याभिषेक से पहले ही भरत और शत्रुघ्न अपने ननिहाल कैकेय देश चले गए थे। बाद में जब महाराज दशरथ की मृत्यु हुई तो गुरु वशिष्ठ ने दूतों को कैकेय देश भेजा ताकि वे भरत और शत्रुघ्न को वापस ले कर आ सकें। जिस मार्ग से दूत कैकेय पहुंचे और जिस मार्ग से भरत और शत्रुघ्न सेना सहित वापस आये, उसका विस्तृत वर्णन रामायण में दिया गया है।
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श्रीराम द्वारा किया गया अद्भुत दान
वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में जब श्रीराम के वनवास जाने का प्रसग आता है तो वन जाने से पहले वो पाना समस्त व्यक्तिगत धन ब्राह्मणों और अन्य जनता में बाँट देते हैं। यहाँ पर श्रीराम लक्ष्मण से कहते हैं कि "हे लक्ष्मण! मेरा ये जो धन है इसे मैं तुम्हारे साथ रहकर तपस्वी ब्राह्मणों में बाँटना चाहता हूँ। इसलिए जो भी श्रेष्ठ ब्राह्मण यहाँ हैं, उनको तथा उनके आश्रितों को मेरे पास लेकर आओ।
कांजीरोट्टु यक्षिणी
कुछ समय पहले हमने यक्षिणियों एवं पद्मनाभ स्वामी मंदिर के रहस्य पर एक लेख प्रकाशित किया था। इन दोनों में हमने कांजीरोट्टू नामक एक यक्षिणी के विषय में बताया था। इस यक्षिणी की मान्यता दक्षिण भारत, विशेषकर केरल और तमिलनाडु में बहुत है और वहाँ इसकी कई लोक कथाएं भी प्रचलित हैं।