ये तो हम सभी जानते ही हैं कि रामायण में भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अपना सातवां अवतार लिया था। किन्तु उस युग में उनकी सहायता के लिए अनेकों देवताओं ने अवतार लिए। इसका विस्तृत वर्णन वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के सर्ग १७ और युद्धकाण्ड के सर्ग ३० में मिलता है। इसके अतिरिक्त रामचरितमानस में भी हमें कुछ वर्णन मिलता है। कुछ ऐसे अवतार भी हैं जो लोक कथाओं के रूप में प्रचलित हैं, उसका अलग से वर्णन किया गया है।
रघुवंशी
- श्रीराम: भगवान विष्णु
- माता सीता: माता लक्ष्मी
- भरत: सुदर्शन चक्र
- मांडवी: रति देवी
- लक्ष्मण: शेषनाग
- उर्मिला: वारुणी देवी
- शत्रुघ्न: शंख
- श्रुतकीर्ति: उषा देवी
वानर सेना
- जांबवान: परमपिता ब्रह्मा
- ऋक्षरजा: परमपिता ब्रह्मा
- वाली: देवराज इंद्र
- सुग्रीव: सूर्यदेव
- श्वेत: सूर्यदेव
- ज्योतिर्मुख: सूर्यदेव
- तार: देवगुरु बृहस्पति
- गंधमादन: यक्षराज कुबेर
- नल: विश्वकर्मा
- नील: अग्निदेव
- मैंद: अश्विनीकुमार (नासत्य)
- द्विविद: अश्विनीकीमर (दस्रा)
- सुषेण: वरुणदेव
- हेमकूट: वरुणदेव
- ऋषभ: वरुणदेव
- शरभ: पर्जन्य
- हनुमान: वायुदेव
- केसरी: देवगुरु बृहस्पति
- अंजना: पुंजिकस्थला अप्सरा
- दधिमुख: चंद्रदेव
- सुमुख: मृत्युदेव
- दुर्मुख: मृत्युदेव
- वेगदर्शी: मृत्युदेव
- गज: यमराज
- गवाक्ष: यमराज
- गवय: यमराज
- शरभ: यमराज
- गंधमादन: यमराज
- दुर्धर: वसु
राक्षस
- रावण: जय/हिरण्यकशिपु
- कुम्भकर्ण: विजय/हिरण्याक्ष
- अतिकाय: मधु दैत्य
- कबंध: विश्ववसु/दनु यक्ष
- विराध: तुम्बुरु गन्धर्व
अन्य
- परशुराम: भगवान विष्णु
- जटायु: अरुण देव
- सम्पाती: अरुण देव
लोक कथा के अनुसार
- दशरथ: स्वयंभू मनु
- कौशल्या: शतरूपा
- मंथरा: दुंदुभि अप्सरा
- अंगद: चंद्र देव
- कैकेयी: निकृती
- तारा: शची देवी
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