अधिकतर लोगों को ये पता है कि महाभारत में कुल १८ पर्व और १००००० श्लोक हैं। जनमानस में भी यही जानकारी उपलब्ध है किन्तु बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि वास्तव में महर्षि वेदव्यास ने बहुत ही वृहद् महाभारत की रचना की थी। इतना वृहद् जिसकी हम लोग कदाचित कल्पना भी नहीं कर सकते। इसका वर्णन हमें महाभारत के प्रथम और द्वितीय अध्याय में मिलता है।
जब हनुमान जी ने अपने सामर्थ्य का वर्णन किया
ये तो हम सभी जानते हैं कि हनुमान जी को अपनी शक्ति को भूल जाने के श्राप था। इसी कारण जब वानर सेना समुद्र के किनारे खड़ी हो उस पर जाने की योजना बना रही थी तो विभिन्न वानरों ने अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार समुद्र पार करने की बात की। उनमें से किसने कितनी दूर जाने की बात की, इसके बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
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