हिन्दू धर्म में विवाह को १६ संस्कारों में से एक माना गया है। आम और पर लोगों को एक ही प्रकार के विवाह के विषय में पता होता है। कुछ लोग, जिन्होंने अपने धर्म ग्रंथों का थोड़ा अध्ययन किया है, उन्हें गन्धर्व विवाह के बारे में भी थोड़ी जानकारी होती है। किन्तु आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि हमारे शास्त्रों में एक दो नहीं बल्कि आठ प्रकार के विवाहों का वर्णन दिया गया है। महाभारत में भी दुष्यंत और शकुंतला प्रसंग में हमें इन विवाहों के विषय में पता चलता है।
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शास्त्रों में कितने प्रकार के विवाह बताये गए हैं?
हिन्दू धर्म में विवाह को १६ संस्कारों में से एक माना गया है। आम और पर लोगों को एक ही प्रकार के विवाह के विषय में पता होता है। कुछ लोग, जिन्होंने अपने धर्म ग्रंथों का थोड़ा अध्ययन किया है, उन्हें गन्धर्व विवाह के बारे में भी थोड़ी जानकारी होती है। किन्तु आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि हमारे शास्त्रों में एक दो नहीं बल्कि आठ प्रकार के विवाहों का वर्णन दिया गया है। महाभारत में भी दुष्यंत और शकुंतला प्रसंग में हमें इन विवाहों के विषय में पता चलता है।
जब भृगु ऋषि के श्राप के कारण अग्निदेव रुष्ट हो गए
ब्रह्माजी के पुत्र महर्षि भृगु के विषय में तो हम सब जानते ही हैं। उनकी पत्नी का नाम था पुलोमा जो अद्वितीय सौंदर्य की स्वामिनी थी। एक बार महर्षि भृगु स्नान के लिए आश्रम से बाहर गए हुए थे। उस समय पुलोमा गर्भवती थी। उसी समय एक राक्षस जिसका नाम भी संयोग से पुलोमा ही था, वो आश्रम पर आया। भृगु ऋषि की पत्नी को देखते ही वो सुध-बुध खो बैठा। उसने निश्चय किया कि वो पुलोमा का हरण कर लेगा।
श्रीराम का रूप कैसा था?
श्रीराम का रूप कितना मनोहर था उसके बारे में कुछ कहने की आवश्यकता तो नहीं है क्यूंकि हम सभी भक्तों के मन में भी उनके मनोहर रूप की अलग-अलग छवि बसी हुई है। वैसे तो श्रीराम के रूप के विषय में कई ग्रंथों में बहुत कुछ लिखा गया है किन्तु उनके रूप का जो सबसे प्रामाणिक वर्णन मिलता है वो हमें वाल्मीकि रामायण में मिलता है। रामायण के सुन्दर कांड के ३५वें सर्ग में हमें इसका वर्णन मिलता है।